Russia-Ukraine war: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह से जुड़े 4 आरोपियों को अरेस्ट किया है। ये सभी आरोपी भारत के युवा लोगों को अच्छी नौकरियों की आड़ में धोखे से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए रूस की सेना में शामिल कराते थे। सीबीआई ने इनमें से दो संदिग्धों ने मंगलवार को दबोचा। इनकी पहचान केरल के तिरुवनंतपुरम के रहने वाले अरुण और येसुदास जूनियर के रूप में हुई है।
इससे पहले बीते महीने 24 अप्रैल को एक ऑपरेशन में सीबीआई ने इस केस के सिलसिले में दो और संदिग्धों, निजिल जोबी बेन्सम और एंथोनी माइकल एलंगोवन को दबोचा था। बेन्सम और एलंगोवन न्यायिक हिरासत में है। एक अधिकारी ने कहा कि आरोपी निजिल जोबी बेन्सम रूसी रक्षा मंत्रालय में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर ट्रांसलेटर की जॉब कर रहा था।
सीबीआई के बयान में कहा गया है कि माइकल एंथोनी दुबई में अपने साथी फैसल बाबा और रूस में मौजूद कई लोगों को चेन्नई में वीजा प्रक्रिया करवाने और पीड़ितों के लिए रूस जाने के लिए हवाई टिकट बुक करने में मदद कर रहा था। बयान में आगे कहा गया कि अरुण और येसुदास जूनियर भारतीय युवकों की भर्ती करने वालों में मुख्य थे। साथ ही, एक अधिकारी ने यह भी कहा कि मामले में अभी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
भारतीय युवाओं को दिया मोटी तनख्वाह का लालच
यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करके तस्करों ने भारतीय युवकों को रूस से मोटी सैलरी पैकेज वाली जॉब का लालच देकर फंसाया। अरेस्ट किए गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि भारतीय युवकों को झूठ बोलकर और उज्ज्वल भविष्य का सपना दिखाकर अवैध तरीके से रूस में भेजा गया और यहां उन्हें युद्ध में उतरने के लिए मजबूर किया गया। उन सभी लोगों की इच्छा युद्ध में जाने की नहीं थी, लेकिन जबरदस्ती उनको युद्ध के मैदान में भेजा गया। इस गिरोह ने कई लोगों की जान को संकट में डाल दिया।
इन सभी को सीबीआई ने एफआईआर में किया नामजद
अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने एफआईआर में पूरे भारत में फैली 17 वीजा कंपनियों, उनके मालिकों और एजेंट को नामजद किया गया है। एजेंसी ने उन पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और मानव तस्करी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इन एजेंटों का नेटवर्क भारत के कई राज्यों और उसके बाहर तक फैला हुआ है।