हरियाली बढ़ाने वाली एजंसियां अब हरियाली बढ़ाने के लिए कार्बन क्रेडिट भी पा सकेंगी। कोई भी एजंसी या संस्था क्षारित वन भूमि क्षेत्र में गतिविधि पूरी होने पर इसके लिए दावा कर सकेगी। प्रावधान के अनुसार, संबंधित एजंसी को 40 फीसद तक वृक्ष छत्र घनत्व प्राप्त करना होगा। इस दावे के आधार पर संबंधित एजंसी को कार्बन क्रेडिट दिया जा सकेगा।

केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने इस बाबत अधिसूचना जारी की है।इससे आने वाले दिनों में अधिक एजंसियां पर्यावरण संबंधित योजनाओं को लेकर आगे आएंगी। केंद्र सरकार ने हरित क्रेडिट नियम 2003 के तहत ये नए प्रावधान किए हैं। आवेदन के बाद प्रशासक के माध्यम से तय किए गए शुल्क का भुगतान संबंधित दावाकर्ता को किया जाएगा।

क्रेडिट के लिए आकलन करते वक्त जीवित पेड़ों की संख्या और छत्र घनत्व को शामिल किया जाएगा। छत्र घनत्व चालीस फीसद होगा और पांच वर्ष की आयु के पेड़ के लिए कार्बन क्रेडिट दिया जाएगा। इसका सत्यापक प्रशासक के माध्यम से किया जाएगा। पर्यावरण मंत्रालय के प्रावधानों में स्पष्ट किया गया कि ग्रीन क्रेडिट का आदान- प्रदान एक बार केवल तीन ही श्रेणी में अनुमत किया जाएगा।

क्या है केंद्र सरकार का ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम

इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार वन या वृक्ष क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत जुड़ने वाली संस्थाओं की एक सूची बनाई जाती है और ग्रीन क्रेडिट से उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। इसमें पोर्टल पर पंजीकरण सरकारी निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, गैर सरकारी संगठन, कंपनियां, परोपकारी संस्थाएं, सोयायटी या कोई आम आदमी भी शामिल हो सकता है। इसके लिए पोर्टल पर संबंधित व्यक्ति को पंजीकरण कराना होता है। ग्रीन क्रेडिट योजना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत अक्तूबर 2023 में शुरू की गई।

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केंद्र सरकार ने पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ‘मिशन लाइफ’ कार्यक्रम की भी शुरूआत की है। इसके तहत लोगों को पीपल के पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसका मकसद ऊर्जा बचत, प्लास्टिक प्रयोग कम और खाद प्रयोग के जरिए पर्यावरण को सहयोग देना है। इस कार्यक्रम के तहत 2028 तक एक अरब यानी 80 फीसद भारतीय गांव और शहरी निकायों को हरित समुदाय में तब्दील करना है।