जिस तरह से आज तुम लोग मेरे ऊपर हंस रहे हो, उसी तरह हस्तिनापुर की सभा में कौरव श्रीकृष्ण पर हंसे थे जब वे पांडवों के वास्ते पांच गांव मांगने दरबार में जा पहुंचे थे। विष्णु अवतार कृष्ण भगवान थे। आखिरकार सब ने माना। मुझ पर हंस लो। पर मैं भी भगवान हूं। विष्णु का दसवां अवतार, भगवान कल्कि हूं।
यह बयान याद है? संभवतः टीवी पर देखा हो। 2018 में रमेशचंद्र फेफर यह सब मीडिया के सामने बोल रहा था। उस वक्त यह आदमी सरदार सरोवर पुनर्वास एजेंसी में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर था। दफ्तर बहुत कम, नहीं के बराबर जाता था। सरकार ने उसे कारण बताओ नोटिस दिया था। उसका जवाब था कि तपस्या से समय नहीं मिलता…मैं कल्कि अवतार हूं। तीन साल पहले खूब वाइरल हुए इंजीनियर साहब का किस्सा अब ट्विटर की मेहरबानी से फिर जिंदा हो गया है। किसी को लीड मिल गई और शुरू हो गई चर्चाः क्या गैरहाजिरी के लिए इससे ज्यादा विचित्र बात कभी बनाई गई होगी।।
रमेश चंद्र फेफर ने तब सरकार की नोटिस के जवाब में कहा था कि कि मैं विष्णु का दसवां अवतार कल्कि भगवान हूं। मैं दफ्तर नहीं आ सकता क्योंकि वहां का वातावरण तपस्या करने के लिए अच्छा नहीं है। कहा था कि उन्हें खुद का कल्कि अवतार होने का भान तब हुआ दफ्तर के भीतर ही मार्च 2010 में हुआ था। तभी से मुझे दैवीय शक्तियां मिली हुई हैं। दफ्तर इसलिए नहीं जा पता कि मैं तपस्या में लगा रहता हूं। उन्होंने दावा किया था कि इस वक्त जो बारिश हो रही है न वह मेरी ही तपस्या का नतीजा है।
एक तब जब अनेक टीवी वाले फेफर के पास आ पहुंचे तो यह सब उन्होंने उनके सामने भी कहा। बोले, जैसे मेरे ऊपर महाभारत के समय लोग हंस रहे थे, वैसे ही आज तुम सब लोग फिर मुझ पर हंस रहे हो। तुम लोग भी मेरे अंदर ईश्वर को नहीं देख पा रहे।
मीडिया में यह किस्सा लंबा नहीं खिंचा था। पर आज जब कल्कि अवतार फेफर संभवतः नौकरी से रिटायर होकर फुलटाइम तपस्या कर रहे होंगे, उनके किस्से ने दूसरा अवतार ले लिया है। सोशल मीडिया पर इस नए अवतरण के बाद लोग खूब मजे ले रहे हैं। एक सज्जन शब्दों का खेल खेलते हुए कहते हैं तो कलकी (कल्कि) छुट्टी ले लेते हैं। एक ने जोक जैसा भी कुछ लिखा हैः बालकः मैं स्कूल नहीं आ सकता …मेरा आज फुटबाल मैच है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि कर्मचारीः दफ्तर नहीं आ पाऊंगा क्योंकि बीमार हो गया हूं। एक अन्य यूजर ने लिखा किभारत धर्म के आधार पर विभाजित, मगर मूर्खता के आधार पर एक है यह देश।