पिछले साल खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों ने सोमवार को अपने टॉप डिप्लोमेट्स के साथ-साथ अन्य राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की।

यह टकराव तब शुरू हुआ जब विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि उसे कनाडा से राजनयिक संचार प्राप्त हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इंडियन डिप्लोमेट्स को कनाडा में एक मामले में संदिग्ध माना जा रहा है। विदेश मंत्रालय के बयान के तुरंत बाद, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार ने पुलिस द्वारा जांच शुरू करने के बाद पाया है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट सीधे तौर पर शामिल थे। भारत ने हालांकि, इसमें किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया और आरोपों को ‘बेतुका’ और राजनीति से प्रेरित बताया था।

यह पहली बार नहीं है जब कनाडा में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े किसी मुद्दे पर दोनों देशों के बीच टकराव हुआ है। यह विवाद 1982 से शुरू हुआ है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो से इस विषय पर अपनी बात कही थी, जो उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री थे। इंदिरा और पियरे के बीच क्या बातचीत हुई थी, आइए जानते हैं।

इंदिरा गांधी ने खालिस्तान आंदोलन के बारे में पियरे ट्रूडो से शिकायत क्यों की?

जनवरी 1982 में सिंगापुर में जन्मे और भारत और इंग्लैंड में पले-बढ़े सुरजन सिंह गिल ने वैंकूवर में ‘निर्वासित खालिस्तान सरकार’ का कार्यालय स्थापित किया था। उन्होंने नीले रंग के खालिस्तानी पासपोर्ट और रंगीन मुद्रा भी जारी की। हालांकि, उन्हें स्थानीय सिखों के बीच सीमित समर्थन मिला, अप्रैल में वैसाखी जुलूस के दौरान खालिस्तान के पोस्टर दिखाने वाले उनके कुछ कार्यकर्ताओं की पिटाई की गई।

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उसी साल पियरे ट्रूडो ने पंजाब में दो पुलिस अधिकारियों की हत्या के आरोपी तलविंदर सिंह परमार को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया। कनाडाई पत्रकार टेरी मिलिवेस्की ने अपनी पुस्तक ब्लड फॉर ब्लड: फिफ्टी इयर्स ऑफ द ग्लोबल खालिस्तान प्रोजेक्ट (2021) में इस बारे में लिखा है, जिसमें बताया गया है कि खालिस्तानी चुनौती पर कनाडा की प्रतिक्रिया की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सहित भारतीय राजनेताओं ने आलोचना की थी।

कनाडाई पत्रकार ने लिखा, “खालिस्तानी चुनौती पर कनाडा की नरम प्रतिक्रिया 1982 से ही भारतीय राजनेताओं के निशाने पर थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो से इसकी शिकायत की थी।”

भारत-कनाडा के बीच क्या है ताजा विवाद?

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को भारत सरकार पर कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाने वाली आपराधिक गतिविधियों का समर्थन करने का आरोप लगाया था। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस द्वारा जमा किए गए साक्ष्य भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के निर्णय का आधार थे। उन्होंने भारत सरकार से दोनों देशों के पारस्परिक लाभ के लिए जांच में सहयोग करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि भारत से राजनयिक और वाणिज्य दूतावास संबंधी छूट छोड़ने और जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने इनकार कर दिया। जोली ने ने कहा, ‘‘हम भारत पर दबाव डालना जारी रखेंगे कि वे सहयोग करें। हम अपने ‘फाइव आईज’ साझेदार देशों के साथ बातचीत जारी रखेंगे। हम जी7 भागीदारों के साथ भी बातचीत जारी रखेंगे। हर विकल्प पर विचार हो रहा है।”