Waqf Law Challenged In Supreme Court: वक्फ संशोधन बिल ने कानून का रूप ले लिया है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है। अब पहली नजर में तो इस कानून के बीच में अब को भी रोड़ा नहीं दिखता है। दोनों ही सदनों में इतने घंटे की बहस हुई है, ऐसे में गुंजाइश भी कम दिखाई देती है। सरकार तो अभी से ही काफी उत्साहित है, इसे अपनी एक और बड़ी जीत के रूप में देख रही है। लेकिन एक पहलू अभी भी बाकी है जिसे समझना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में इस वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है। कांग्रेस, आप, AIMIM ने इस कानून को चुनौती देने का काम किया है।
अब सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को रद्द कर सकता है? क्या सुप्रीम कोर्ट के पास ऐसी कोई ताकत होती भी है? जो बिल लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुआ हो, जिसे राष्ट्रपति ने खुद मंजूरी दी हो, उसके बाद भी क्या सुप्रीम कोर्ट इसे पलट सकता है? इन्हीं सवालों के जवाब सरल शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट क्या वक्फ कानून को रद्द कर सकता है?
इस सीधे सवाल का जवाब एकदम सीधा ही है। बिल्कुल सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को रद्द कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पास यह ताकत होती है। लेकिन समझने वाली बात यह है कि ऐसी स्थिति तब बनेगी जब यह साबित हो जाए कि संविधान को चुनौती दी गई है, भारत के संविधान को कोई कानून चैलेंज कर रहा है। अगर यह साबित हो जाए कि इस कानून की वजह से संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को चुनौती दी जा रही है, सर्वोच्च अदालत जरूर हस्तक्षेप भी करेगी और कानून रद्द भी कर सकती है।
क्या वक्फ कानून संविधान को चैलेंज करता है?
अब विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी बात की है, कैसे साबित करें कि वक्फ कानून संविधान को चैलेंज करता है। असल में विपक्ष की याचिका का आधार संविधान का अनुच्छेद 32 है। ऐसा भी इसलिए क्योंकि अनुच्छेद 32 कहता है कि अगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होगा, उस स्थिति में वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है, वो वहां से राहत पा सकता है। अनुच्छेद 32 ही सुप्रीम कोर्ट को ताकत देता है कि वो किसी के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के लिए आदेश जारी करे, निर्देश दे।
वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी
अब वक्फ कानून को लेकर विपक्ष के तर्क समझते हैं। विपक्ष का पहला तर्क है कि यह कानून मुस्लिम लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। यहां तक कहा गया है कि गैर मुस्लिमों की जो बोर्ड में एंट्री करवाई जा रही है, इससे भी उनका अधिकार छिन जाएगा। अब अगर सुप्रीम कोर्ट इस बात से सहमत हो जाए तो मुश्किल सरकार की बढ़ेगी। विपक्ष का दूसरा तर्क है कि सरकार ने वक्फ बाय यूजर क्लॉज को खत्म कर दिया है। ऐसे में अब अगर किसी वक्फ जमीन के जरूरी दस्तावेज मौजूद नहीं होंगे, अगर उसकी रेजिस्ट्रेशन नहीं हुई होगी, उस स्थिति में वक्फ का उस पर हक नहीं रहेगा। विपक्ष इस क्लॉज को भी अपने विरोध का आधार बना रहा है।
क्या पहले भी कानूनों को सुप्रीम कोर्ट दी गई चुनौती?
बिल्कुल, कई कानूनों को पहले भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। CA-NRC का केस हो या फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना, इन सभी कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। आधार वही है कि संविधान को चैलेंज किया गया। ये सारे मामले अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रहे हैं। इसी कड़ी में अब वक्फ कानून भी जुड़ चुका है। वक्फ से जुड़ी और खबरों के लिए जनसत्ता के स्पेशल पेज का रुख करें