राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) यूनिट में तैनात भारतीय सेना के एक मेजर की सेवाएं समाप्त करने का मामला चर्चा में है। सेना की जांच में पहले पाया गया था कि मेजर कई ऐसी बड़ी गलतियों में शामिल थे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था। राष्ट्रपति की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद आपके ज़हन में कई तरह के सवाल उमड़ सकते हैं। यहां एक अहम सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति सेना के किसी भी अधिकारी को टर्मिनेट करने की शक्ति रखता है, अगर ऐसा है तो कानूनन इसके क्या प्रवाधान हैं, ऐसे ही सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेंगे।
क्या है सेना के एक मेजर को टर्मिनेट करने का मामला?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना अधिनियम, 1950 की धारा 18, संविधान के अनुच्छेद 310 के के हवाले से उन्हें हासिल शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश दिया कि मेजर की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाए। ये आदेश 15 सितंबर को जारी किए गए थे और इस महीने की शुरुआत में स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड यूनिट में लागू किए गए थे, जहां मेजर उत्तर भारत में तैनात थे। मेजर की गतिविधियों की जांच मार्च 2022 से की जा रही थी और इसके लिए अधिकारियों का एक बोर्ड बनाया गया था। बोर्ड ने मामले की जांच की और राष्ट्रपति के पास मामले को भेज दिया था।
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राष्ट्रपति की शक्तियां
राष्ट्रपति की पावर को समझने के लिए आपका यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है। वह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। वह संसद की मंजूरी के साथ युद्ध की घोषणा कर सकता है और युद्ध विराम के ऐलान की ताकत रखता है। अनुच्छेद 53 स्पष्ट रूप से कहता है कि राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर है। राष्ट्रपति के पास अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने और सजा को कम करने की शक्ति है। सेना अधिनियम, 1950 के तहत राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है, इस मामले में भी जांच पूरी होने के बाद लगभग एक सप्ताह पहले मेजर की सेवाओं को समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए गए थे।
सेना अधिनियम, 1950
इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति जो अपने वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दिए गए किसी भी आदेश की पालना नहीं करता , कोर्ट-मार्शल द्वारा दोषी ठहराए जाता है, यदि वह सेवा के दौरान अपराध करता है तो सजा दी जा सकती है, बर्खास्त किया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रपति का हस्ताक्षर अनिवार्य होता है। सेना अधिनियम, 1950 भारतीय सशस्त्र बलों में सैन्य कानून को नियंत्रित करने वाला एक अधिनियम है। सेना अधिनियम 22 मई 1950 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 22 जुलाई 1950 को प्रभावी हुआ था।