अब अगर आप किसी अंजान महिला को ‘डार्लिंग’ कहकर बुलाते हैं तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ कहकर संबोधित करना भारतीय दंड संहिता की धारा 35A के तहत यौन उत्पीड़न माना जा सकता है। यह फैसला उस मामले से आया है जिसमें जनकराम नाम के व्यक्ति ने नशे की हालत में एक महिला पुलिस अधिकारी से पूछा था, “क्या डार्लिंग, चालान करने आई हो क्या?”
पोर्ट ब्लेयर पीठ में जस्टिस जय सेनगुप्ता ने आईपीसी की धारा 354A का हवाला देते हुए सजा को बरकरार रखा। आरोपी को भद्दी टिप्पणियों और एक महिला की विनम्रता को अपमानित करने के लिए दंडित किया गया है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ शब्द से पुकारना स्पष्ट रूप से अपमानजनक है और यौन रूप से प्रेरित टिप्पणी है।
यह घटना तब हुई जब एक पुलिस दल ने उपद्रव की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए राम को पकड़ लिया। एक स्ट्रीटलाइट के नीचे, उसने महिला कांस्टेबल से आपत्तिजनक सवाल किया, जिसके कारण आईपीसी की धारा 354A(1)(iv) और 509 के तहत आरोप लगाए गए। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने राम को दोषी ठहराया, उसे तीन महीने की कैद और प्रत्येक अपराध के लिए ₹500 जुर्माने की सजा सुनाई।
हाई कोर्ट ने आरोपी को मिली सजा को एक महीने तक कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने माना कि अपराधी ने अपनी अभिव्यक्ति से परे अपराध को आगे नहीं बढ़ाया है।
शादी के आधार पर महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकते
इससे पहले 21 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में बड़ा फैसला सुनाया था। 26 साल पुराने मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि शादी के आधार पर किसी को नौकरी से नहीं निकाल सकते हैं। दरअसल 26 साल पहले शादी के आधार पर एक महिला अधिकारी को इसलिए सेवा से बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उनकी शादी हो गई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह का नियम बेहद मनमाना था। महिला की शादी हो जाने के कारण उसकी नौकरी समाप्त करना लैंगिक भेदभाव और असमानता है।