भारतीय नौसेना के पास दिल्ली में अपनी फायरिंग रेंज नहीं होने के कारण राजधानी क्षेत्र में बल के अधिकारियों का छोटे हथियार चलाने का अभ्यास प्रभावित होने को लेकर कैग ने चिंता जतायी है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल में संपन्न संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया कि अखिल भारतीय नौसेना कर्मियों को सभी प्रकार के छोटे हथियारों को चलाने की कामकाजी जानकारी होनी चाहिए। रक्षा मंत्रालय समन्वित मुख्यालयों ने मई 2010 में इस संबंध में प्रशिक्षण एवं अन्य के लिए उपाय तय किये थे।
इसमें कहा गया कि छोटे हथियारों के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण तथा जहाजों एवं प्रतिष्ठानों के लिए वार्षिक अभ्यास भत्ता (एपीए) नौसेना मुख्यालय ने दिसंबर 1978 में अधिसूचित किया था और 2011 में इसे संशोधित किया गया। इसके अनुसार प्रत्येक नौसेना अधिकारी को वर्ष में 5.56 एमएम बाल एम्युनेशन के 65 चक्र का फायरिंग अभ्यास और नौ एमएम बाल एम्युनेशन के 40 चक्र फायरिंग अभ्यास करना जरूरी होता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि स्टेशन कमांडर (नौसेना), दिल्ली क्षेत्र इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि इस क्षेत्र में तैनात सभी नौसेना अधिकारियों एवं नाविकों को छोटे हथियारों की फायरिंग का अभ्यास करवाया जाए। कैग ने कहा कि एक अंकेक्षण पूछताछ में (सितंबर 2015) नौसेना ने बताया कि दिल्ली में जमीन की कमी के चलते भारतीय नौसेना के पास अपनी कोई फायरिंग रेंज नहीं है तथा उसे फायरिंग रेंज के लिए पूरी तरह थलसेना पर निर्भर रहना पड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली क्षेत्र में अभ्यास फायरिंग के दौरान अधिकारियों की भागीदारी में कमी वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच 91.59 प्रतिशत और 99.83 प्रतिशत के बीच रही। कैग ने कहा कि नौसेना अधिकारियों द्वारा छोटे हथियारों की अभ्यास फायरिंग एपीए के अनुदेश की तुलना में मामूली है तथा इससे नौसेना अधिकारियों के हथियार संचालित करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। कैग ने कहा कि इस मामले को दिसंबर 2016 में रक्षा मंत्रालय को संदर्भित किया गया था और उसका जवाब प्रतीक्षित है।