Citizenship Amendment Act 2019: नागर‍िकता संशोधन ब‍िल (CAB) पर कई राज्‍यों ने केंद्र के ख‍िलाफ व‍िरोध का झंडा उठा ल‍िया है। इस ब‍िल के दोनों सदनों में पार‍ित होने के बाद असम, त्र‍िपुरा, मेघालय आद‍ि राज्‍यों में ह‍िंसा भड़की हुई है। इसे नजरअंदाज करते हुए 12 द‍िसंबर को राष्‍ट्रपत‍ि रामनाथ कोव‍िंद ने ब‍िल को मंजूरी दे दी। लेक‍िन, सात राज्‍यों ने इस ब‍िल को अपने यहां लागू करने से साफ इनकार कर द‍िया है।

उनका कहना है क‍ि यह ब‍िल धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला, संव‍िधान और भारतीयता के ख‍िलाफ है। ब‍िल का व‍िरोध करने वाले राज्‍यों में मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, पंजाब, पश्‍च‍िम बंगाल, छत्तीसगढ़ और केरल शाम‍िल हैं।

पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी का कहना है क‍ि राज्‍यों के पास केंद्र द्वारा लागू कानून को अपने यहां नहीं लागू करने का संवैधान‍िक हक तो है, लेक‍िन यह सही कदम नहीं होगा। आदर्श स्‍थि‍त‍ि ये है क‍ि बातचीत से रास्‍ता न‍िकले और मतभेद दूर हो।

कुछ कानूनी व‍िशेषज्ञों की राय में नागर‍िकता केंद्र के दायरे में आने वाला व‍िषय है। इसल‍िए, राज्‍य सरकारों के इस ब‍िल को नहीं लागू करने के न‍िर्णय को केंद्र पलट सकता है। राज्‍यों की ओर से इसे नहीं लागू करने का ऐलान सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली ने कहा क‍ि राज्‍य सरकारें नागर‍िकता से जुड़े कानून का अमल रोक नहीं सकतीं, क्‍योंक‍ि नागर‍िकता से जुड़ा मुद्दा केंद्र सरकार के दायरे में आता है। उसे ही यह तय करने का हक है क‍ि कौन इस देश का नागर‍िक होगा और कौन नहीं।

वहीं ममता बनर्जी सोमवार को कोलकाता में नागर‍िक संशोधन ब‍िल के व‍िरोध में बड़ी रैली करने जा रही हैं। हालांक‍ि, केंद्र का कहना है क‍ि संव‍िधान की सातवीं सूची के तहत राज्‍य इस ब‍िल को लागू करने से मना नहीं कर सकते।