संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में जारी विरोध प्रदर्शन कई मायनों में खास है। स्थिति ये है कि दिल्ली विधानसभा के चुनावों में भी शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का मुद्दा केन्द्र में आ गया है।
छात्र नेता और जेएनयू विवाद के बाद चर्चा में आए उमर खालिद ने द प्रिंट में एक लेख लिखा है। इस लेख में उमर खालिद ने शाहीन बाग को भारत का तक्सीम चौक करार दिया है।
लेख में उमर खालिद लिखते हैं कि शाहीन बाग अब सिर्फ एक जगह या विरोध प्रदर्शन का नाम नहीं रह गया है। यह इजिप्ट के तहरीर स्कवायर, तुर्की के तक्सीम स्कवायर और न्यूयॉर्क के वॉल स्ट्रीट की तरह वैश्विक तौर पर छा गया है।
शाहीन बाग की तर्ज पर कोलकाता के पार्क सर्कस, लखनऊ के घंटाघर और बेंगलुरू के मस्जिद रोड पर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
उमर खालिद के अनुसार, शाहीन बाग आम विरोध प्रदर्शन की तरह नहीं है और यहां बच्चे, माएं, बुजुर्ग सभी शामिल हैं। यहां लोग घर से खाना लाते हैं, गीत गाते हैं। यह लोगों की ताकत का आयोजन बन गया है।
उमर खालिद का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार देश में मुसलमानों की आवाज सुनी जा रही है। मोदी सरकार में बीते पांच सालों में हुई भीड़ हिंसा, अयोध्या पर आए फैसले के खिलाफ लोग अब बोल रहे हैं। एक गूंगा समुदाय पहली बार अपने लिए बोल रहा है।
पूर्व जेएनयू छात्र ने लिखा कि मुस्लिम वोट बैंक में बदल गए हैं। एससी, एसटी और ओबीसी के मुकाबले मुस्लिमों में सारक्षरता दर ज्यादा है। खालिद ने सच्चर कमेटी, रंगनाथ मिश्रा कमेटी और अमिताभ कुंडु कमेटी ने भी देश में मुस्लिमों की स्थिति पर चिंता जाहिर की गई है। प्राइवेट नौकरियों, सरकारी नौकरियों, पुलिस और सेना में मुस्लिमों का शेयर काफी कम है, सिर्फ जेलों में ही हमारी संख्या ज्यादा है।