शाहीन बाग में नागरिकता संशोधित कानून और एनआरसी को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान बच्चों की मौजूदगी को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग चिंता जाहिर की थी। NCPCR के इस दावे को शाहीन बाग पहुंची पांच मनोवैज्ञानिकों और प्रोफेसरों की टीम ने झुठला दिया है और उनका कहना कुछ और ही है।
एनसीपीसीआर का कहना था कि शाहीन बाग प्रदर्शन में मौजूद बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके साथ ही आयोग ने जिलाधिकारी से कहा था कि एक बाल संरक्षण अधिकारी और पुलिस बाल कल्याण अधिकारी की मदद से ऐसे इन बच्चों की पहचान करें और उनके लिए परामर्श सत्र का आयोजन करें। द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक मनोवैज्ञानिकों और प्रोफेसरों की एक टीम ने शाहीन बाग का दौरा किया और बच्चों के बुरा असर पड़ने के दावों का आंकलन किया।
टीम का कहना है कि उन्होंने देखा कि पूरे प्रदर्शनस्थल पर बच्चों की विरोध वाली पेटिंग्स से भरा पड़ा है। वहां किताबें, पोस्टर्स और आर्ट वर्क्स है। वहां वॉलेटियर्स बच्चों की पढ़ाई में भी मदद कर रहे हैं। इसके अलावा बताया गया कि बच्चों के लिए पपेट शो और स्टोरी टेलिंग का स्पेशल सेशन का आयोजन होता है।कहा जा रहा है कि बच्चो को अहिंसक प्रदर्शन के बारे में बताया जा रहा है।
विशेषज्ञों की टीम का कहना है कि उन्होंने वहां कोई ऐसा संकेत नहीं देखा जो आमतौर आघात से जुड़ा होता है। मसलन, डर या झिझक जैसी कोई चीज बच्चों में नजर नहीं आई। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदर्शन स्थल का माहौल काफी जीवांत है और बच्चे खुद नए अभिव्यक्ति की आजादी बयां करने के नए-नए तरीकों के बारे में जान रहे हैं।वहां मौजूद लोग अपने बच्चों का खास ख्याल रख रहे हैं।