दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (17 दिसंबर) को जामिया हिंसा पर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा में असमाजिक तत्वों का हाथ होने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की तरफ से ही फायरिंग की गई। प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस को निशाना बनाया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब साढ़े तीन हजार लोग प्रदर्शन कर रहे थे। मामले में दो एफआईआर दर्ज और 10 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। गिरफ्तार 10 लोगों में कोई भी छात्र और छात्रा नहीं। पुलिस का कहना है कि आरोपी हिंसा में कथित तौर पर शामिल हुए और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों को सोमवार की रात गिरफ्तार किया गया।
शुरुआती जांच में हिंसा फैलाना प्री-प्लान प्रतीत होता है। हिंसा में विदेशी हाथ होने की भी जांच की जा रही है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में रविवार को हिंसा होने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के आसपास के इलाकों में तनाव है।
यूनिवर्सिटी रविवार को तब जंग का मैदान बन गई थी जब पुलिस परिसर में दाखिल हुई और उसने बल प्रयोग किया। इससे पहले छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान बसों समेत कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था।
इस दौरान चार डीटीसी बसों, 100 निजी वाहनों और 10 पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। हालांकि पुलिस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलाई।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक ‘दिल्ली पुलिस ने जामिया में प्रदर्शन के दौरान एक भी गोली नहीं चलाई थी। गिरफ्तार किए गए सभी 10 आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। और आसामाजिक तत्वों की तलाश जारी है।’