साल 2019 में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, न्यायाधीशों और नौकरशाहों समेत 19000 से अधिक वीआईपी लोगों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई। इन लोगों की सुरक्षा में 66,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया।
यह जानकारी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPR&D) द्वारा प्रकाशित पुलिस संगठनों के नवीनतम आंकड़ों से सामने आई है। अन्य दिलचस्प बात यह है कि बड़ी संख्या में वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करने वाले शीर्ष राज्यों में से कोई भी किसी भी तरह के उग्रवाद या हिंसात्मक आंदोलन से प्रभावित नहीं है। डेटा से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार ने छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सबसे अधिक वीआईपी को सुरक्षा प्रदान की गई।
वहीं, छत्तीसगढ़ जहां माओवादी मुठभेड़ों की 112 घटनाएं दर्ज की गईं, 46 नागरिकों की मौत और 2019 में 77 आईईडी विस्फोट हुए वहां कम संख्या में वीआईपी को सुरक्षा दी गई। पश्चिम बंगाल और पंजाब ने क्रमश: 3,000 और 2,500 से अधिक वीआईपी को संरक्षण में रखा जबकि छत्तीसगढ़ ने सिर्फ 315 लोगों को सुरक्षा प्रदान की।
बीपीआरएंडडी के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ 501 वीआईपी के संरक्षण में होने के बावजूद, दिल्ली में वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी पर सबसे अधिक 8182 कर्मियों को तैनात किया। यह एक वीआईपी की रक्षा करने वाले औसतन 16 कर्मियों की तैनाती रही। पुलिस सुरक्षा के तहत सबसे कम 32 वीआईपी गोवा में हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस सुरक्षा, अगर वास्तविक सुरक्षा चिंताओं पर दी जाती है, तो किसी भी राज्य में वीआईपी की संख्या कुछ सौ से अधिक नहीं होगी। लेकिन यह सामान्य ज्ञान है कि पुलिस सुरक्षा राजनीतिक कारणों से दी जाती है। फिर उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब में, एक वीआईपी कल्चर है जहाँ आपका दबदबा और बंदूकधारियों की संख्या आपकी ताकत को दिखाती है।
हालांकि, 2018 में 21,300 की तुलना में 19,467 VIPs को सुरक्षा दी गई। वीआईपी सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस कर्मियों की संख्या 63,061 से बढ़कर 66,043 हो गई। यह बताता है कि 2019 में VIPs को 2018 की तुलना में उच्च ग्रेड सुरक्षा प्रदान की गई थी। आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने 2019 में 3,142 वीआईपी को सुरक्षा प्रदान की। यह 2018 की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक थी।
इसमें 6,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया। पंजाब ने 2,600 वीआईपी की सुरक्षा में 7,700 से अधिक कर्मियों को तैनात किया।