उत्तर प्रदेश में गाय के नाम पर हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। बुलंदशहर में गोरक्षकों के बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की मौत ने ख़तरे की घंटी बजा दी है। एक आंकड़े के मुताबिक बीते 9 साल के मुकाबले उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल में गोरक्षकों का आतंक बढ़ा है। फैक्ट्स-चेकर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गाय के नाम पर हिंसा में 69 फीसदी का इजाफा हुआ है।
फैक्ट्स-चेकर के मुताबिक इस साल (2018) देश में गाय के नाम पर 21 वारदातें हो चुकी हैं। जिनमें 10 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से 11 वारदातें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। जिनमें 4 लोगों की मौत हुई है। इसके पहले मार्च, 2017 में जब योगी आदित्य नाथ की सरकार बनी थी, उस दौरान गाय के नाम पर 5 हिंसक वारदातें हुई थीं। इसी साल उत्तर प्रदेश में हापुड़ में 45 साल के काशिम कुरैशी को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। इसके अलावा, बरेली में 20 साल के शाहरुख और अब बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या ने भयंकर स्थिति की तरफ इशारा कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पूरे देश में गोरक्षकों की हिंसा लगातार ख़तरनाक रूर धारण करती जा रही है। 2017 के मुकाबले 2018 में गाय के नाम पर हिंसा में लोगों के मारे जाने का आंकड़ा 18 फीसदी तक बढ़ा है। 2010-17 के बीच यह आंकड़ा जहां 30 फीसदी (37 वारदातों में 11 मौतें) था। वहीं, 2018 में यह बढ़कर 48 फीसदी (21 वारदातों में 10 मौतें) हो चुका है।
गाय के नाम पर हिंसा और मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सितंबर में सरकारों को फटकार लगाई थी। 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और गायों को लेकर हिंसा पर सरकारों को निर्देश दिए थे। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एमएम खनविलकर और डीवआई चंद्रचूड़ की बेंचे ने कहा था, “लोगों को इस बारे में एहसास होना चाहिए कि भीड़ की हिंसा और कानून हाथ में लेने से आप कानून के प्रकोप को निमंत्रण दे रहे हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और गायों के नाम पर हिंसा को लेकर जागरूकता अभियान में कमी पर केंद्र सरकार की भी खिंचाई की थी। कोर्ट ने केंद्र से उन दिशा-निर्देशों के संबंध में जवाब तलब किया, जिनमें गाय के नाम पर हिंसा को लेकर अखबार, टीवी, रेडियो और दूसरे इल्केट्रॉनिक मीडिया के माध्यमों से जागरुकता अभियान चलाने की बात थी।

