राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर हंगामा किया जिसके कारण उच्च सदन की बैठक करीब एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी। उच्च सदन राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे लेकर जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने ‘सरकार, होश में आओ…होश में आओ’ के नारे लगाए।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें टोका और कहा, “आप होश में आकर नियम समझने की कोशिश करें। ये सब रिकॉर्ड में नहीं आएगा।” वेंकैया नायडू ने शून्यकाल में कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे की ओर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिला है जिसमें उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया है। नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा की जाती है।
नायडू ने कहा कि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया है क्योंकि सदस्य मौजूदा सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान एवं अन्य मौकों पर इस संबंध में अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन कांग्रेस नीत विपक्ष इस मुद्दे को उठाने की मांग करता रहा। खडगे ने पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल और डीजल व रसोई गैस की कीमतों में हुयी वृद्धि का जिक्र किया और कहा कि लोग इस संबंध में सरकार की बात सुनना चाहते हैं।
लेकिन सभापति नायडू ने इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी और सदन में प्रश्नकाल शुरू कराया। इस दौरान विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और कुछ सदस्य आसन के समीप भी आ गए। सदन में हंगामा थमते नहीं देख सभापति ने करीब 10 बजे बैठक मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपए और 80 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं। रसोई गैस की कीमतें भी बढ़ गई। एक्साइज ड्यूटी/सेस लगाकर सरकार ने 21 लाख करोड़ इकट्ठा किया है। इसके कारण किसानों के साथ-साथ पूरा देश जूझ रहा है। खड़गे ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर 200 फीसदी टैक्स बढ़ा दी गई है। इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है।
इससे पहले, सदन में महिलाओं को 50 फीसदी तक आरक्षण दिए जाने का मुद्दा भी उठा। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि 24 साल पहले हमने संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव लाया था। आज संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। जब हम 50 फीसदी आबादी हैं, तो यह क्यों नहीं मिलनी चाहिए। कोविड के दौर में सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं पर पड़ी हैं। मैं चाहती हूं कि इन सब मुद्दों पर हम संसद में चर्चा करें।
राज्यसभा में एनसीपी सांसद डॉ फौजिया खान ने कहा कि कई सारे रिपोर्ट में सामने आया है कि 6 फीसदी से ज्यादा महिलाएं लीडरशिप रोल में हैं। उन्होंने कहा, “हमें इसके बारे में सोचना चाहिए। हम लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देकर हम एक शुरुआत कर सकते हैं।”
