Sonia Gandhi on Budget 2023: कांग्रेस (Congress) की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने बजट 2023 (Budget 2023) को महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में विफल बताया है। उन्होंने कहा कि चाहे गरीब हो या मध्यम वर्ग, ग्रामीण हो या शहरी वे रुपये में आ रही गिरावट और आय में कमी जैसी समस्याओं को झेल रहे हैं। ऐसे में बजट में गरीबों और कमजोरों के लिए आवंटन को कम करके स्थिति को और खराब किया जा रहा है।
बजट को बताया गरीबों पर मौन प्रहार
द इंडियन एक्सप्रेस के ओपिनियन पीस में छपे अपने लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि यह मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा गरीबों पर किया गया मौन प्रहार है। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में कीमतों में वृद्धि का मतलब है कि रुपया 2018 की तुलना काफी नीचे गया है। अपर्याप्त धन और बढ़ती मुद्रास्फीति का यह घातक मेल देश के सबसे गरीब और वंचित लोगों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने गरीबों और वंचितों पर यह साइलेंट अटैक ऐसे समय में किया है, जब आर्थिक स्थिति लगातार दयनीय बनी हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति कोरोना महामारी से पहले के स्तर को छू चुकी है, लेकिन सिर्फ अमीर ही इस सुधार का लाभ उठा रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि रोजमर्रा की कीमतों में वृद्धि और रोजगार में कमी के कारण 2019 के बाद से आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
मोदी सरकार की नीतियों पर भी उठाए सवाल, खास दोस्तों को लाभ पहुंचाने का लगाया आरोप
सोनिया गांधी ने अपने आर्टिकल में मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। उनका यह यह भी आरोप है कि प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा देकर देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को चुनिंदा बिजनेसमैन के हाथों में सौंपा जा रहा है।
सोनिया गांधी ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री की नीतियों ने लगातार आपदाओं को जन्म दिया है। डिमोनेटाइजेशन, खराब तरीके से तैयार किए गए जीएसटी, तीन कृषि कानूनों को लागू करने का असफल प्रयास जैसी नीतियों से देश को नुकसान पहुंचा है। प्राइवेटाइजेश के चलते देश की बेशकीमती संपत्तियों को चुनिंदा निजी हाथों को सौंप दिया गया है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है। यह खासतौर पर अनुसूचितजाति और अनुसूचित जनजाति को प्रभावित कर रहा है। यहां तक कि करोड़ों गरीब और मध्यम वर्ग के भारतीयों की कमाई को भी खतरा है क्योंकि सरकार एलआईसी और एसबीआई जैसे भरोसेमंद सार्वजनिक संस्थानों को भी अपने खास दोस्तों के स्वामित्व वाली प्रबंधन कंपनियों में निवेश करने के लिए मजबूर कर रही है।”
उन्होंने आगे जनता से अपील करते हुए कहा कि वे सरकार के बहकावे में ना आकर, उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले सरकार के कामों का विरोध करें और लोगों को हाथ मिलाकर बदलाव करने की जरूरत है।