कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मोदी सरकार के बजट को बेकार बताते हुए कहा कि इसमें महंगाई, बेरोजगारी और कृषि को लेकर कुछ नहीं है। केंद्र सरकार ने सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की पंचवर्षीय योजना को समाप्त कर दिया था। लेकिन अब वो अगले 25 साल की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम सत्ता में होते तो गरीब, मजदूर, किसानों की मदद के लिए काम करते और कृषि उपकरणों पर जीएसटी नहीं लगाते। गृहणियों के खाते में पैसा डालते ताकि वे महंगाई से सामने कर सके।

ABP न्यूज के प्रोग्राम में कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट हर साल पेश होता है। यह सिर्फ लेखा-जोखा नहीं है। यह बजट उनकी इच्छा और नियति को दर्शाता है। निर्मला सीतारमण ने जिस तरह से डेढञ घंटे के भाषण में केवल पौने तीन मिनट किसानों पर बात की, उसे देखकर लगता नहीं है कि सरकार उनके मुद्दे को गंभीरता से भी ले रही है। जबकि इस समय के तीन मुद्दे महंगाई, बेरोजगारी और कृषि सबसे बड़े हैं।

सरकार ने एमएसपी कानून बनाने की बात कही थी पर कृषि बजट में ही 20 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई। पायलट ने कहा कि इस सरकार ने बिना पूछे तीन कृषि कानूनों को बना दिया और फिर वापस भी ले लिया, लेकिन एमएसपी कानून को लेकर बोल रहे हैं कि हम सोचेंगे। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार को एमएसपी कानून बनाने से किसने रोका है।

उन्होंने कहा कि सरकार पहले 2 करोड़ रोजगार देने की बात कह रही थी। लेकिन अब 60 लाख पर पहुंच गई है। बजट को नंबर देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम नहीं जनता नंबर देगी। उन्होंने कहा कि महंगाई पर कोई बात नहीं हुई तो इनकम टैक्स स्लैब में भी परिवर्तन नहीं हुआ। कोरोना से जो आर्थिक तंगी आई थी, उससे लोगों को और परेशानी हो रही है। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए थे, जिससे लोग खुश होते।

पायलट ने कहा कि अमीर और गरीब के बीच खाई और बढ़ती जा रही है। ग्रामीण विकास के बजट में भी 20 हजार करोड़ रुपये की कमी की गई है। मनरेगा में भी 20 हजार करोड़ रुपये की कमी कर दी गई है। अब लोग लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं। ऐसे में लोगों की सीधे आर्थिक मदद करने की जरूरत थी, क्योंकि महंगाई बढ़ रही है और आमदनी लगातार घट रही है। पायलट ने कहा कि इस बजट का चुनाव पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि लोगों को बजट से कोई राहत नहीं मिली है।

अपनी ताजपोशी पर उनका कहना था कि भविष्य में क्या होगा वो नहीं जानते। लेकिन उन्हें खुशी है कि जो सुझाव उन्होंने सरकार के मुखिया को दिए उन पर तत्काल काम हुआ है। पंजाब में सीएम चेहरे को लेकर राहुल गांधी की घोषणा पर उनका कहना था कि वहां हालात अलग हैं। वर्कर्स की डिमांड पर आलाकमान सीएम फेस देने को सहमत हुआ है।