वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट पढ़ने से पहले मुंह मीठा कर पूरी तरह से कमर कस ली है। दिल्ली में शनिवार (20 जनवरी) को बजट की छपाई से पहले हर साल निभाई जाने वाली खास ‘हलवा रस्म’ में वित्त मंत्री ने हिस्सा लिया। इस मौके पर वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला और वित्त सचिव हंसमुख अधिया भी मौजूद थे। इस बार का बजट 1 फरवरी को पेश होना है। बजट से पहले हलवा रस्म लंबे समय से चली आ रही है। इस मौके पर कढ़ाही में हलवा बनाया जाया है। हलवे से मुंह मीठा करने के बाद बजट तैयार करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों कई दिनों तक अपने परिवार से पूरी तक कट जातें हैं, वे अपने घरवालों या किसी संबंधी को फोन या ईमेल भी नहीं कर सकते हैं। उन्हें मंत्रालय में ही रहना होता है। केवल बहुत वरिष्ठ अधिकारियों को ही घर जाने की अनुमति होती है।

इस बार के बजट पेश करने के समय में भी बदलाव किया गया है। वित्त मंत्री के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी बजट होने की वजह सरकार कई लुभावनी घोषणाएं कर सकती है। टैक्स पेयर्स को राहत देने संबंधी अटकलों की खबरें पहले ही मीडिया में चल रही हैं। इस बार का बजट सत्र संगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों लिए भी खुश खबर लाने वाला हो सकता है।

सरकार बजट सत्र में ग्रेच्युटी भुगतान (संसोधन) विधेयक 2017 संसद में पेश कर सकती है। इस बिल के पास होने पर टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ेगी और महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ सकेगी। खास बात यह है कि दोनों ही सूरत में कमान केंद्र सरकार के हाथ में होगी। बिल पास होने पर 20 लाख रुपये की तक की ग्रेच्युटी की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। फिलहाल टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये है। मातृत्व अवकाश भी सरकार ही तय करेगी। अभी संबंधित संस्थान ही इस अवकाश के बारे में फैसला लेता है।

सरकार ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर चुकी है। तब यह बिल पास नहीं हो सका। श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने संसद में 18 दिसंबर, 2017 को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक रखा था। अगर इस बार विधेयक पास हो जाता है तो सरकार को टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा तय करने के लिए बार-बार नहीं सोचना पड़ेगा।