गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रियों के समूह ने वित्तीय संकटों से घिरी सरकारी दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल को बचाने के लिए अहम बैठक की। बैठक में वीआरएस, 4जी स्पेक्ट्रम और बीएसएनएल-एमटीएनएल में नई टेक्नॉलजी के जरिए उसे कैसे उभारा जाया इस पर चर्चा हुई। इस बैठक में शाह के अलावा, आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल थीं।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, यह बैठक करीब 2 घंटे चली। बैठक में दोनों पब्लिक सेक्टर सर्विस प्रोवाइडर्स के हालातों को सुधारने के लिए और वीआरएस से जुड़े मसलों पर चर्चा की गई। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने बीएसएनएल के लिए 6365 करोड़ रुपए और एमटीएनएल के लिएओ 2120 करोड़ रुपए के वीआरएस पैकेज का विरोध किया था। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019 में बीएसएनएल देश की सबसे ज्यादा घाटा सहने वाली सरकारी कंपनी रही।
कंपनी को वित्तीय वर्ष 2019 में अनुमानतः 13804 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। संकट से घिरी ये दोनों ही प्राइवेट सेक्टर की टेलिकॉम दिग्गजों से कहीं पीछे हैं। दोनों साल 2016 से सरकार से 4जी स्पेक्ट्रम की मांग कर रही है। अगर सरकार इसपर आगे बढ़ती है तो बीएसएनएल के लिए 14000 करोड़ रुपए तो वहीं एमटीएनएल के लिए 4जी रेडिया वेव प्रोवाइड करने में 6000 करोड़ रुएप का खर्च आएगा।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री टेलीकॉम कमेटी के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने बैठक पर जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि ‘सरकार को बीएसएनएल और एमटीएनएल को संकट से उबारने के लिए टावरों और फाइबर सहित परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीतियों पर आगे बढ़ना चाहिए।’
मालूम हो कि इससे पहले ये भी खबरें आई थीं कि सरकार, संकट से घिरी सरकारी दूरसंचार कंपनियों BSNL और MTNL को करीब 74,000 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज देने पर विचार कर रही है। इस बेलआउट पैकेज का इस्तेमाल कंपनी के हजारों कर्मचारियों के जल्द रिटायरमेंट प्लान, वीआरएस पैकेज, 4जी स्पेक्ट्रम और कंपनियों के पूंजीगत
व्यय को बढ़ाने में किया जाएगा।