भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित नो मैंस लैंड में पिछले 4 दिनों से ठंड और अन्य परेशानियों से जूझ रहे 31 रोहिंग्याओं को बीएसएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। ये रोहिंग्या भारत के जम्मू से बांग्लादेश जा रहे थे, लेकिन बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल (बीआरबी) ने उन्हें बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया। जिसके चलते बीते 18 जनवरी से ये लोग दोनों देशों की सीमा पर स्थित नो मैंस लैंड में ठहरे हुए थे। मानवता के नाते बीएसएफ ने इन लोगों को खाना, पानी और कंबल आदि देकर इनकी परेशानियों को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की। इस दौरान बीएसएफ और बीआरबी के बीच इन रोहिंग्याओं को बांग्लादेश भेजने संबंधी बातचीत भी हुई, लेकिन बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद बीएसएफ ने इन 31 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तारी के बाद इन रोहिंग्याओं को त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया। इस दौरान गिरफ्तार किए गए रोहिंग्याओं ने बताया कि वह बीते 6 साल से जम्मू में रह रहे थे, लेकिन वहां धमकियां मिलने के बाद वह पलायन कर बांग्लादेश जा रहे थे। जहां बीआरबी ने उन्हें बांग्लादेश में प्रवेश करने से रोक दिया।
सुनाई आपबीती: गिरफ्तार किए गए रोहिंग्याओं में 16 बच्चों समेत कुल 31 लोग हैं, जो अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनकी बस एक ही अपील है कि उन्हें वापस म्यांमार ना भेजा जाए। इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में गिरफ्तार किए गए अब्दुल शकूर ने बताया कि वह साल 2012 में म्यांमार के रखाइन प्रांत से भागे थे और कई लोगों के साथ पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत की सीमा में घुसे थे। इसके बाद ये लोग जम्मू पहुंचे। शकूर ने बताया कि उन्हें बताया गया था कि जम्मू में उन्हें काम मिल सकेगा। एक अन्य रोहिंग्या मुहम्मद शाहजहां ने रोते हुए बताया कि हम जम्मू-नरवाल बाइपास के नजदीक रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप में रह रहे थे। हमने वहां मजदूर के तौर पर मोबाइल फोन के टावर लगाए। लेकिन इसके बाद सरकार और स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें टारगेट किया जाने लगा। जिसके बाद हम वहां से पलायन कर बांग्लादेश के लिए निकल गए।
मुहम्मद शाहजहां ने बताया कि यदि हमें वापस म्यांमार भेजा गया तो वो लोग हमें मार देंगे। कृप्या हमें वहां ना भेजा जाए। शाहजहां ने बताया कि जम्मू में 2500 रोहिंग्या परिवार रह रहे थे, जिनमें से 1500 धमकियां मिलने के बाद वहां से पलायन कर चुके हैं। रोहिंग्याओं का कहना है कि ‘करीब 15 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं। भारत में हमारा स्वागत नहीं है और म्यांमार में हमें मार दिया जाएगा। ऐसे में बांग्लादेश ही ऐसी जगह है, जहां हम सुरक्षित रह सकते हैं।’