बिहार में विधानसभा चुनाव का वक्त जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, राजनीतिक दलों में अपने को एकजुट रखने के लिए बेचैनी बढ़ती जा रही है। ताजा मामला राजद में टूट और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे का है। इस घटनाक्रम पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता मंगल पांडेय ने कहा कि यह तो ट्रेलर है, फ़िल्म अभी बाकी है। बहुत जल्द थोक के भाव में विधानसभा सदस्य भी एनडीए का दामन थामेंगे।

उन्होंने कहा कि मंगलवार को घटी इस दलबदल की घटना से न सिर्फ राजद, बल्कि महागठबंधन के नेता भी सकते में हैं। ऐसे नेता अपने आशियाना की जुगत में एनडीए से लगातार संपर्क में हैं। कल तक महागठबंधन के साथी दल राजद पर आंखें तरेर रहे थे, लेकिन अब तो राजद के घर में ही बगावत का बिगुल बज चुका है। यही स्थिति रही तो आगामी चुनाव तो दूर उससे पहले ही सूबे से राजद का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। अभी तो सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की कुर्सी खतरे में है। चुनाव बाद इनके पुत्र तेजस्वी यादव को भी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नसीब नहीं होगी।

स्वास्थ्य मंत्री पांडेय ने कहा कि राजद के माननीय सदस्यों का एनडीए के 15 वर्षों के शासनकाल का परिणाम सामने दिख रहा है। पाला बदलने वाले विप सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा जताते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव पर धनबल और बाहुबल को तरजीह देने का आरोप लगाया है।

विधान पार्षदों के टूटने के डर से राजद इस कदर बौखलाया हुआ है कि मंगलवार को ही विधानमंडल की बैठक बुला ली है। राजद प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धन-दौलत के बल पर हमारे पांच विधान पार्षद तोड़ लिए, लेकिन वे यह क्यों नहीं बताते कि तेजस्वी की कार्यशैली से उनके जैसे वरिष्ठ नेता और उनकी पार्टी के अधिकतर लोग खुश नहीं हैं। दो दिन पूर्व भी राजद के समर्पित नेताओं ने अपने को उपेक्षित मान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर हंगामा कर संकेत दे दिया है कि आगामी विस चुनाव के बाद राजद का क्या हश्र होने वाला है।

उन्होंने कहा कि हमेशा संविधान और सुशासन की दुहाई देने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव में थोड़ी बहुत भी नैतिकता बची है, तो वो पहले अपनी माताजी से विप से नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिलाएं। क्योंकि विधानमंडल के उच्च सदन में उनकी कुर्सी के लिए जगह नहीं है।

विप के सभापति भी यह संकेत दे चुके हैं कि सदन में राजद संख्या बल की कमी है, इसलिए नेता प्रतिपक्ष नहीं माना जा सकता। इसके लिए 10 फीसदी सदस्य अनिवार्य है। वहीं रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे पर कहा कि राजद में कई वरीय नेता घुटन महसूस कर रहे हैं। ऐसे नेताओं को पार्टी के अंदर जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व से ऐसे नेता न सिर्फ आहत हैं, बल्कि दूसरे दरवाजे पर दस्तक दे अपनी संभावना तलाश रहे हैं।