केंद्र सरकार को मुंबई हाईकोर्ट से आईटी नियमों में संशोधन से जुड़े एक मामले में झटका लगा है। अदालत ने संशोधित आईटी नियमों को “असंवैधानिक” करार देते हुए खारिज कर दिया है। इन नियमों के तहत सरकार को फैक्ट चेक यूनिट के जरिए से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों की पहचान करने का अधिकार दिया गया था। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 20 मार्च को फैक्ट चेक यूनिट (FCU) से जुड़ी जानकारी साझा की थी और कहा था कि यह प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत काम करेगी। यूनिट का काम सोशल मीडिया साइटों पर केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों से संबंधित गलत सूचनाओं को जांचना और सामने लाने का था।
जज ने क्या कहा?
इस मामले को टाई-ब्रेकर बेंच के भेजा गया था, सुनवाई करते हुए जस्टिस अतुल चंदुरकर ने फैसला सुनाया कि ये संशोधन भारतीय संविधान में मौजूद मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। जस्टिस अतुल चंदुरकर ने कहा, “मैंने इस मामले पर विस्तार से विचार किया है। विवादित नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(जी) (व्यवसाय की स्वतंत्रता और अधिकार) का उल्लंघन करते हैं।”
यह फैसला जनवरी 2024 में जस्टिस गौतम पटेल और डॉ. नीला गोखले की बेंच द्वारा दिए गए विभाजित फैसले के बाद आया है। तब जस्टिस पटेल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रावधानों को रद्द कर दिया था, जबकि जस्टिस गोखले ने इसे बरकरार रखा था और कहा था कि एफसीयू इसे लेकर की जा रही चिंता का कोई आधार नहीं है। जस्टिस गोखले ने कहा था कि संशोधनों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।
इस मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक कॉमेडियन भी थे। अब कामरा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। कुणाल कामरा का कहना था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं और उनके कॉन्टेंट पर इस संशोधन के ज़रिए सरकार मनमाने ढंग से पाबंदी लगा सकती है और ब्लॉक कर सकती है। हालांकि सरकार का कहना रहा है कि ये सिर्फ फर्जी खबरों को सामने लाने के लिए किया गया एक प्रयास है।