बंबई हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में उन विदेशी दंपतियों के लिए किराए के कोख पर पाबंदी के सरकारी फैसले पर रोक लगा दी है जो पहले ही इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं या इलाज के अहम चरण में हैं। न्यायमूर्ति रवि देशपांडे के अवकाशकालीन पीठ ने डॉक्टर कौशल कदम और अन्य फर्टिलिटी क्लिीनिकों की याचिका पर तीन नवंबर को इस संबंध में अंतरिम आदेश दिया। याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के फर्टिलिटी सेंटर चलाने वाले डाक्टरों को 27 अक्तूबर को जारी उस परिपत्र को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के रुख के मुताबिक किराए की कोख भारतीय दंपतियों तक सीमित है न कि विदेशियों के लिए है। परिपत्र में डॉक्टरों से भारत में किराए की कोख की सेवा लेने को इच्छुक विदेशियों को यह सेवा नहीं देने का अनुरोध किया गया है।
अदालत ने व्यवस्था दी कि उसकी अंतरिम राहत केवल उन मामलों तक ही सीमित है जो 15-20 दिनों की अवधि के इलाज के दौर में हैं। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को ऐसे मामलों के ब्योरे से अधिकारियों को सीलबंद लिफाफे में अवगत कराने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति देशपांडे ने उन्हें उन विदेशी नागरिकों के सिलसिले में किराए की कोख की प्रक्रिया नहीं करने का निर्देश दिया है जिन्होंने इसे अभी शुरू नहीं किया है।
मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 दिसंबर तय करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे सीलबंद लिफाफे अदालत की इजाजत के बगैर नहीं खोले जाएंगे। केंद्र सरकार को चार हफ्ते में अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने उसकी यह दलील खारिज कर दी कि इस मामले की सुनवाई में कोई तात्कालिकता नहीं है।
गौरतलब है कि देश में व्यावसायिक सरोगेसी को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है और मानव भ्रूण के इस कारोबार के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है। इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले स्त्री अधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि इसके जरिए स्त्री देह का व्यावसायीकरण किया जा रहा है। देश में कमजोर कानूनों के कारण यहां इस अहम तकनीक के बेजा इस्तेमाल के भी आरोप लगाए जाते रहे हैं। आरोप है कि फर्टिलिटी सेंटर विदेशी दंपतियों से मोटी रकम वसूल कर गरीब महिलाओं की कोख का ही इसके लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही कोख किराए पर देने वाली महिलाओं के शोषण के भी आरोप लगे हैं।
ऑर्डर-ऑर्डर
* बंबई हाई कोर्ट ने विदेशी दंपतियों के लिए किराए की कोख पर सरकारी पाबंदी पर लगाई रोक।
* यह रोक सिर्फ उन्हीं दंपतियों के लिए है जो इस प्रक्रिया या इलाज के अहम चरण में हैं।
* इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी तय हुई है।

