बॉम्बे हाई कोर्ट ने यौन शोषण के एक मामले में कहा कि किसी को प्यार करना और किस करना अप्राकृतिक यौन अपराध की श्रेणी में नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि होठों को चूमना और प्यार से किसी को छूना भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध नहीं है। इस फैसले के साथ ही अदालत ने एक नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोपी शख्स को जमानत दे दी।
बता दें कि यहा मामला 14 साल के लड़के के पिता की शिकायत पर दर्ज किया गया था। जिसमें आरोपी शख्स को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। इसके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम अधिनियम के तहत डिंडोशी कोर्ट रूम में IPC की धारा 377 और सेक्शन 8 और 12 (यौन उत्पीड़न) में मुकदमा चल रहा था।
शिकायत के अनुसार, लड़के के पिता को 17 अप्रैल 2021 को पता चला कि आलमारी से पैसे गायब हैं। इस संबंध में पिता ने लड़के से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने पैसे आरोपी शख्स को दिए हैं। नाबालिग ने कहा कि वह ऑनलाइन गेम ‘ओला पार्टी’ का रिचार्ज कराने के लिए आरोपी शख्स की दुकान पर जाता था। लड़के ने आरोप लगाया कि एक दिन जब वह रिचार्ज कराने गया तो आरोपी ने उसके होठों को चूमा तथा उसके निजी अंगों को छूआ।
इसके बाद लड़के के पिता ने पुलिस में आरोपी के खिलाफ बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून की संबंधित धाराओं तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज करायी। बता दें कि धारा 377 के तहत शारीरिक संभोग या कोई अन्य अप्राकृतिक कृत्य दंडनीय अपराध के दायरे में आता है। इसमें अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है और जमानत भी मिलना मुश्किल हो जाती है।
मामले में न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने आरोपी शख्स को जमानत देते हुए कहा कि लड़के की मेडिकल जांच से यौन शोषण के पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगायी पॉक्सो की धाराओं के तहत अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है और उसे जमानत दी जा सकती है।
अदालत ने कहा कि पहली नजर में मौजूदा मामले में अप्राकृतिक यौन संबंध की बात साबित नहीं होती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी पहले ही एक साल तक हिरासत में रहा है और मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। ऐसे में आरोपी जमानत पाने का हकदार है। बता दें कि आरोपी को 30,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गयी।