29 हजार करोड़ के कोयला मामले में डायरेक्टोरेट ऑफ रेवन्यू (डीआरआई) को बॉम्बे हाई कोर्ट से गुरुवार को झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पक्ष में फैसला सुनाया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने डीआरआई द्वारा सिंगापुर और अन्य देशों को भेजी गई सभी लेटर ऑफ रोगाटोरी (एलआर) को खारिज कर दिया। ये एलआर अडानी समूह की फर्मों को 2011 से 2015 में इंडोनेशियाई कोयले के आयात के कथित अधिपत्य की जांच के लिए भेजे गए थे। एलआर दो देशों के बीच म्यूचुअल लीगल अस्सिटेंस ट्रीटी (MLAT) होती है इसमें दोनों देश किसी मामले में न्यायिक सहायता देने के लिए बाध्य होते हैं।
बता दें कि डीआरआई अडानी समूह के अलावा 40 अन्य कंपनियों की जांच कर रहा था। इसमें अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की दो कंपनियां भी शामिल हैं। इसके अलावा एस्सार समूह की दो और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं। इन कंपनियों पर साल 2011 से 2015 के बीच इंडोनेशिया से 29000 करोड़ के आयातित कोयले के मूल्य को कथित रूप से बढ़ाकर (ओवर वैल्यूएशन) दिखाने के आरोप हैं।
डीआरआई इस संबंध में विदेशों से कंपनियों की जानकारी हासिल करने के लिए सिंगापुर, हॉन्कॉन्ग, स्विटजरलैंड, यूएई समेत अन्य देशों से 14 एलआर जारी करा चुका था। बहरहाल कोर्ट के इस फैसले से अडानी और अन्य कंपनियों के खिलाफ जांच में रोक लग जाएगी।
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती एच डांगरे की बेंच ने इस मामले में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की रिट याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भरी थी। इस याचिका में कहा गया था कि मामले में एलआर ‘कंपनी को सूचित किए बिना और बिना किसी नोटिस’ के जारी किए गए जबकि कस्टम एक्ट 1962 के तहत कोयला मामले में अडानी समूह के खिलाफ किसी अपराध का कोई संज्ञान नहीं।