Jalgaon Pushpak Express Train Accident: जलगांव ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। जलगांव ट्रेन हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, मरने वालों में चार नेपाली नागरिक भी शामिल हैं। इनकी पहचान कमला नवीन भंडारी (43) , जवाकला भाटे (60) , लच्छीराम खटारू पासी (40) और इम्तियाज अली (11) के रूप में हुई है। इन लोगों के परिवार को अपना सदस्य को खोने का गम है तो वहीं उन्हें क्षत-विक्षत शरीर के अंगों से अपने प्रियजन की पहचान करनी पड़ी, जिससे वे सदमे में हैं।
लच्छीराम खटारू पासी नेपाल के उन चार लोगों में शामिल थे जो जलगांव में बुधवार शाम हुई ट्रेन दुर्घटना में मारे गए। लच्छीराम खटारू पासी के साथियों ने बताया कि कैसे वे खुद को बचाने के लिए दो ट्रेनों के बीच तंग जगह में दुबके रहे। लच्छीराम पासी के भतीजे रामरंग पासी ने बताया कि उनके चाचा नेपाल के बांके जिले के नारायणपुर के रहने वाले थे। रामरंग ने बताया, “उनके हाथ और पैर के कुछ हिस्से गायब हैं।”
लच्छीराम पासी के भतीजे रामरंग पासी ने बताया कि उनके चाचा लखनऊ होते हुए ठाणे जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में पांच अन्य लोगों के साथ यात्रा कर रहे थे। वे सभी दिहाड़ी मजदूर हैं और इस दुर्घटना में बच गए। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने चाचा को उनके चेहरे और कपड़ों से पहचाना, लेकिन (क्षत-विक्षत शवों का) मंजर इतना डरावना था कि एक पल के लिए उनका दिमाग सुन्न पड़ गया।
दोनों ट्रेनों के बीच लोगों ने कैसे बचाई जान?
रामरंग ने बताया कि शव अब तक उन्हें नहीं सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि वे अपने चाचा के पार्थिव शरीर को नेपाल में उनके पैतृक स्थान पर ले जाना चाहते हैं। लच्छीराम के साथ यात्रा कर रहे नेपाली नागरिक शौकत अली ने भयावह घटना को याद करते हुए कहा, “ट्रेन में आग लगने की अफवाह फैली थी। हमने बोगी के अंदर धुआं देखा। जब ट्रेन धीमी हुई, तो हम जल्दी से नीचे उतरे और ट्रेन खाली हो गई।”
उन्होंने बताया कि जैसे ही वे नीचे उतरे, कुछ ही मिनट में विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन वहां आ पहुंची। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि वे स्थिति को समझ पाते, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, जबकि भागने के लिए भी कोई जगह नहीं थी। अली ने कहा, “हमें दोनों ट्रेनों के बीच थोड़ी सी जगह मिली और हम एक-दूसरे को कसकर पकड़ कर वहां लेट गए, इसलिए बच गए।”