छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुए एनकाउंटर में अब तक 22 जवानों के मारे जाने की खबर है। वहीं, 25 गंभीर रूप से घायल हैं। रविवार को 20 जवानों के शव घटनास्थल से वापस लाए गए। इस घटना को लेकर अब ऑपरेशन की योजना बनाने वाले और इसे मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

नक्सलियों द्वारा बड़ी संख्या में जवानों को घेर कर मारे जाने के बाद सीआरपीएफ के उच्चाधिकारियों की प्लानिंग पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। दरअसल, सीआरपीएफ के एडीडीपी ऑपरेशंस जुल्फिकार हंसमुख, केंद्र के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार और सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी के. विजय कुमार और मौजूदा आईजी ऑपरेशंस पिछले 20 दिनों से जगदलपुर, रायपुर और बीजापुर के क्षेत्रों में खुद मौजूद रहकर प्लानिंग में शामिल रहे थे। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में जवानों के शहीद होने के बाद अब ऑपरेशन पर सवालिया निशान लग गए हैं।

असम में चुनाव प्रचार छोड़कर दिल्ली निकले अमित शाह: सीआरपीएफ जवानों पर हुए इस हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह रविवार को ही असम से दिल्ली लौटेंगे। असम चुनाव में भाजपा के सह-प्रभारी जितेंद्र सिंह ने कहा कि शाह छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के चलते असम में चुनाव प्रचार छोड़कर दिल्ली लौट रहे हैं।

सुरक्षाबलों को मिली थी माओवादियों के पहाड़ी पर छिपे होने की सूचना: बता दें कि दो अप्रैल को सुकमा और बीजापुर के पांच कैंप्स से दो हजार से ज्यादा जवान बीजापुर के तारेम में गांव का घेराव करने पहुंचे थे। इन्हें करीब 20 दिन पहले खबर मिली थी कि नक्सलियों ने जोनागुड़ा की पहाड़ियों पर डेरा जमा रखा है। इनमें माओवादियों की बटालियन नंबर-1 के कमांडर हिडमा के छिपे होने की जानकारी भी मिली थी। पुलिस का कहना है कि हिडमा सुरक्षाबलों पर कई हमलों के लिए जिम्मेदार है। सूत्रों का मानना था कि हिडमा लंबे समय से जोनागुड़ा की पहाड़ियों पर ही छिपा था।

माओवाादियों ने घात लगाकर कर दिया सीआरपीएफ टीम पर हमला: इसके बाद सीआरपीएफ के उच्चाधिकारियों ने CoBRA इलीट यूनिट के साथ डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड्स और स्पेशल टास्क फोर्स को भी जवानों के साथ ऑपरेशन के लिए भेजने का निर्णय लिया था। यह ऑपरेशन तारेम, उसूर, पामेड (तीनों बीजापुर में) और मिनपा और नरसापुरम (दोनों सुकमा में) से शुरू किया गया। बताया गया है कि जब जवान ऑपरेशन पूरा कर के लौट रहे थे, तब माओवादियों ने घात लगाकर सुरक्षाबलों को घेर लिया और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। माना जा रहा है कि शनिवार को हुए इस हमले में भी हिडमा की टीम का हाथ था।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं। इनमें सीआरपीएफ जवानों के शव घटनास्थल पर जहां-तहां पड़े दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के कई घंटों बाद तक रेस्क्यू टीम शव लेने नहीं पहुंची थी। हालांकि, सुबह होने के बाद जवानों के शव वापस लाने शुरू कर दिए गए।