बंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले ही शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे को करारा झटका लगा है। पहली ही चुनावी लड़ाई में ठाकरे बंधुओं को करारी हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल महाराष्ट्र की बेस्ट क्रेडिट सोसायटी के चुनाव के दौरान पहली बार एक साथ चुनावी मैदान में उतरे ठाकरे बंधुओं की पार्टियों के संयुक्त पैनल को एक भी पद नहीं मिला है। इस हार के साथ ही शिवसेना का नौ साल पुरानी प्रभाव भी खत्म हो गया।
21 में से 19 सीटों पर ‘उत्कर्ष’ पैनल के तहत चुनाव लड़ते हुए शिवसेना-मनसे गठबंधन का सहकारी समिति पर शिवसेना का पुराना कब्जा प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। इस क्रेडिट सोसाइटी के 15,000 बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) कर्मचारी सदस्य हैं। इनमें से 10,000 ने सोमवार को मतदान किया।
बीजेपी गठबंधन को मिली 7 सीट
दरअसल बेस्ट में प्रमुख रूप से मराठी भाषियों को वर्चस्व है। इस वजह ये हार ठाकरे बंधुओं के लिए करारा झटके के रूप में माना जा रहा है। खास कर ऐसे समय में जब बीएमसी का चुनाव सर पर है और दोनों भाईयों को लेकर मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में विपक्ष माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे बीते कुछ दिनों से मराठी अस्मिता को लेकर काफी मुखर रहे हैं।
इस चुनाव में परिवहन संघ के नेता शशांक राव के पैनल ने 14 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा समर्थित सहकार समृद्धि पैनल ने शेष सात सीटें (4 बीजेपी, 2 शिंदे सेना और 1 एससी/एसटी यूनियन) पर कब्जा किया। इस चुनाव ने राजनीतिक ध्यान आकर्षित किया था, क्योंकि यह महाराष्ट्र में आगामी नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ठाकरे भाइयों द्वारा पहला संयुक्त चुनावी मुकाबला था।