भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में आगामी चुनावों के मद्देनजर एक सर्वे कराया है। इस सर्वे ने भाजपा नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल सर्वे में खुलासा हुआ है कि भाजपा को अपने मजबूत गढ़ माने जाने वाले राज्यों में भी कई सीटों का भारी नुकसान हो सकता है। पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश में होने की आशंका जतायी गई है। यही वजह है कि भाजपा ने राज्य में सहयोगी दलों की तलाश शुरु कर दी है, ताकि अपने इस नुकसान को कम किया जा सके। टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, सर्वे में पता चला है कि भाजपा को आगामी चुनावों में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 20 सीटें मिल सकती हैं, जबकि पिछले चुनावों में पार्टी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी। इस तरह भाजपा को उत्तर प्रदेश में 51 सीटों का नुकसान होने की आशंका जतायी जा रही है।
ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए सहयोगी दल काफी अहम हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा का अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन है, लेकिन ये दोंनों ही पार्टियां पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखती हैं। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा किसी सहयोगी दल की तलाश में है, ताकि यहां पर भी अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, भाजपा रालोद के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है। दरअसल रालोद का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाताओं में अच्छा-खासा प्रभाव है, यही वजह है कि भाजपा रालोद को अपने पाले में खींचकर यहां अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। गौरतलब है कि सपा-बसपा गठबंधन में रालोद को ज्यादा सीटें नहीं दी गई हैं। ऐसे में भाजपा रालोद के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है।
उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में भी भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है। यही वजह है कि भाजपा यहां अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ बनी हुई है। हालांकि शिवसेना ने कई बार अपने बयानों में केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है, लेकिन भाजपा ने अभी तक इसे नजरअंदाज किया है। भाजपा के सर्वे में खुलासा हुआ है कि पार्टी की स्थिति मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा में मजबूत बनी हुई है। हालांकि इन राज्यों में भी पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है।
