अगले दो महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये विधानसभा चुनाव कई मायनों में साफ कर देंगे कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक बीजेपी और नरेंद्र मोदी का जादू चलेगा या नहीं। सभी राज्यों के मुकाबले यूपी सबसे बड़ा राज्य है और इसे ही मोदी की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में यूपी में मोदी समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं ने कई रैलियां की हैं। सभी ने मोदी की ऐसी छवि प्रस्तुत करने की कोशिश की है जिसमें उन्हें गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों का मसीहा बताया गया है। यहां तक की अब बीजेपी अपने परंपरागत वोटरों के अलावा दूसरी पार्टियों के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है। नेताओं की भाषा में मोदी की ऐसी छवि बनाने की कोशिश की जा रही है जिससे लोगों को लगे कि मोदी अब ‘समाजवादी’ हो गए हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपनी रणनीति में बदलाव करके जाति आधारित टिकट बांटने पर विचार किया है।
इसके अलावा बीजेपी नोटबंदी के मुद्दे को भी पूरी तरह से भुनाने की कोशिश में है। बीजेपी नेताओं की मानें को लोगों का मिजाज जानने के लिए रोज लगभग आधा दर्जन एजेंसियों को सर्वे पर लगा रखा है। ये एजेंसियां 8 नवंबर के बाद से काम पर लगी हुई हैं। वे लोग सभी राज्यों में से 70 प्रतिशत के आंकड़े उनतक पहुंचा रहे हैं।
पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 4 जनवरी को किया गया। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बताया कि गोवा और पंजाब में 4 फरवरी यानी शनिवार को वोटिंग होगी इसके बाद उत्तराखंड में चुनाव 15 फरवरी को होंगे। फिर मणिपुर में चुनाव होंगे। वहां वोटिंग दो चरणों में होगी। पहले चरण के लिए वोटिंग 4 मार्च और दूसरे चरण के लिए वोटिंग 8 मार्च हो होगी। इसके अलावा उत्तरप्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव आयुक्त ने आगे बताया कि सभी राज्यों के वोटों की गिनती 11 मार्च को एकसाथ की जाएगी।