कर्नाटक में एक बार फिर भूमि आवंटन से जुड़े मामले पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा है। इस बार कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार पर निशाना साधा गया है। भाजपा के एक राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया है कि उनके परिवार को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा एयरोस्पेस उद्यमियों के कोटे के तहत 5 एकड़ ज़मीन आवंटित की गई थी और यह एक गैर-कानूनी आवंटन था।
बीजेपी ने सवाल किया कि जमीनी स्तर पर अपनी पहचान के लिए जाने जाने वाले कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अचानक एयरोस्पेस उद्यमी के तौर पर कैसे उभरे?
कर्नाटक के उद्योग मंत्री एम बी पाटिल ने आरोपों को नकारा और कहा कि सिद्धार्थ विहार एजुकेशन ट्रस्ट को किसी भी नियम का उल्लंघन किए बिना तयशुदा मूल्य पर बिना किसी छूट के यह नागरिक सुविधा प्लॉट (CA Plot) दिया गया था। सिद्धार्थ विहार एजुकेशन ट्रस्ट मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे राहुल खड़गे चलाते हैं। उद्योग मंत्री ने बताया कि राहुल खड़गे आईआईटी ग्रेजुएट हैं और आवंटित भूमि पर रिसर्च एंड डवलपमेंट सेंटर केंद्र स्थापित करना चाहते थे।
क्या यह भाई-भतीजावाद नहीं है : बीजेपी
भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने सोशल मीडिया पर आरोप लगते हुए लेटर जारी किया और लिखा कि यह आवंटन गैर-कानूनी है। लहर सिंह सिरोया ने लिखा, “AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार KIADB ज़मीन हासिल करने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गया? यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का मामला है?” बीजेपी सांसद ने एक समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बात कही।
एक्स पर एक पोस्ट में मल्लिकार्जुन खड़गे के दूसरे बेटे और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे ने आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा,”आवंटित की गई साइट इंडस्ट्रियल या कमर्शियल उपयोग के लिए नहीं थी, यह शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। ट्रस्ट का इरादा सीए साइट में एक बहु कौशल विकास केंद्र स्थापित करना है। क्या यह गलत है?” प्रियांक खड़गे ने कहा कि केआईएडीबी ने परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को कोई सब्सिडी या कोई छूट नहीं दी है।
प्रियांक खड़गे खुद सिद्धार्थ विहार एजुकेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। जुलाई 1994 में गठित इस ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टियों में राहुल खड़गे (जो इसके अध्यक्ष भी हैं) और खड़गे के दामाद और गुलबर्गा के सांसद राधाकृष्ण शामिल हैं।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने प्रियांक खड़गे को मंत्री पद से हटाने की मांग की। नारायणस्वामी ने दावा किया कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का गठन बुद्ध विहार बनाने के लिए किया गया था और यह एक धार्मिक ट्रस्ट था, जिसका उद्देश्य उद्योग स्थापित करना नहीं था।