याकूब मेमन भले ही देश में न हो लेकिन खबरों की सुर्खियों में अभी उसका नाम चर्चा का विषय बना हुआ है। कई राजनीतिज्ञों की लाख कोशिश करने के बाद भी याकूब की फांसी को कोई नहीं रोक पाया।
फांसी के बाद एक के बाद एक सियासत मोड़ आने लगा। कभी कश्मीर में याकूब की सजा के विरोध में रैली निकालने वाले नेता गिरफ्तार हो हाते हैं, तो कहीं उनकी पत्नी को सांसद बनाए जाने के बाद सपा नेता मो. फारूख को अपने पद से हाथ धोना पड़ता है। लेकिन अब एक और सियासी मोड़ आया है, जो बीजेपी के कद्दावर नेता वरुण गांधी लाए हैं।
दरअसल, याकूब की फांसी के बाद सुल्तानपुर से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने हाल ही एक इंग्लिश न्यूपेपर को दिए इंटरव्यू में फांसी की सजा को खत्म करने पर जोर दिया है।
इस इंटरव्यू में न सिर्फ वरुण ने याकूब का नाम लिया बल्कि उन्होंने भारत के भी कई ऐसे मामलों का हवाला दिया है, जो न्याय के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए। इनमें उन्होंने देश के क्रांतिवीर भगत सिंह, राजगुरु से लेकर शहनवाज खान, गुरबख्श सिंह ढिल्लन और प्रेम सहगल की सजा का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम हर दौर में तानाशाह और कातिल रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने बेबीलोन सभ्यता और ईसा मसीह से लेकर तमाम सभ्यताओं में मृत्युदंड की प्रथाओं और नियमों को ताक पर रखते हुए बेहद क्रूर और निरंकुशतावादी प्रचलन था।
वरुण के मुताबिक ‘2014 में भारतीय अदालतों ने 64 लोगों को फांसी की सजा सुनाई, जिसकी वजह से भारत फांसी की सजा सुनाने वाले 55 देशों की लिस्ट में टॉप 10 देशों में है।’ उन्होंने 1983 में आए ‘रेयरस्ट ऑफ द रेयर’ मामलों में फांसी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी विश्लेषण किया है।
इतना ही नहीं, वरुण ने अदालतों के फैसलों पर एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि फैसलों के सही होने की गारंटी नहीं दी सकती। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी को कोट करते हुए बताया कि 1973-1995 के बीच मृत्युदंड के 5,760 केसों में से 70 फीसदी में कहीं न कहीं गलती हुई।
वरुण ने जाति और वर्ग के नजरिए से भी मृत्युदंड का विश्लेषण किया। उन्होंने नैशनल रिसर्च काउंसिल की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि मृत्युदंड पाए 75 फीसदी दोषी समाज के कमजोर तबके से ताल्लुक रखते हैं, 94 फीसदी दोषी दलित हैं या अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उन्होंने इसके पीछे की वजहों को भी पोस्टमॉर्टम किया है।
बकौल वरुण समूचे विश्व भर में करीब ऐसे 140 देश हैं जहां पर फांसी की सजा को खत्म कर दिया गया है। इसलिए भारत में इस सजा से हटकर कोई दूसरा विकल्प होना चाहिए। बहरहाल, अब देखना यह होगा वरुण की इस बयान पर क्या हमारे देश का कानून अपने नियमों को बदलेगा।