अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत भी अपने लोगों को वापस बुलाने की पूरी कोशिश कर रहा है। मोदी सरकार ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत का ई-वीजा भी खोल दिया है। छह महीने के वीजा के लिए किसी को धर्म बताने की भी जरूरत नहीं है। इसी बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर मोदी सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, भारत चीन के सामने कमज़ोर दिखा और अब तालिबान के सामने भी कमज़ोर नज़र आ रहा है।

स्वामी ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत पहले 2013 से देपसांग में और फिर अप्रैल 2020 से लद्दाख में चीन के सामने कमजोर दिखा और अब तालिबान के सामने भी हताश दिख रहा है। यह हमारी राष्ट्रीय अखंडता की छवि के लिए बुरा है।’

‘भारत से थीं ज्यादा उम्मीदें’
काबुल से भारत आए विमान से स्वदेश पहुंचने वाले लोग बहुत ही खुश नजर आए। तालिबान के खौफ से भारत आने वाली एक महिला पत्रकार ने बताया कि भारत से अफगानिस्तान को कहीं ज्यादा उम्मीदें थीं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लोग पाकिस्तान से ज्यादा भारत को पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि काबुल शहर में तालिबानी कब्जे के बाद वहां हालात बहुत खराब हो गए हैं।

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मुलाकात कर अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात कर युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की। जयशंकर ने ट्वीट किया, ” संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात कर खुशी हुई। कल हुई सुरक्षा परिषद की बैठक पर चर्चा के बाद हमारी वार्ता अफगानिस्तान पर केंद्रित रही।”

भारत अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है। इसी के मद्देनजर जयशंकर सुरक्षा परिषद के इस सप्ताह दो उच्च स्तरीय अहम कार्यक्रमों की अध्यक्षता के लिए सोमवार को न्यूयार्क आए हैं। विदेश मंत्री जयशंकर और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने काबुल पर तालिबान का फिर से कब्जा होने के बाद अफगानिस्तान में हालात को लेकर सोमवार को फोन पर बातचीत की और इस दौरान जयशंकर ने काबुल हवाईअड्डे से व्यावसायिक उड़ानें फिर से शुरू किए जाने की अत्यधिक आवश्यकता पर बल दिया।