लोक लेखा समिति (PAC) के चेयरमैन केवी थॉमस के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समन करने संबंधी बयान के एक दिन बाद पीएसी के सदस्य और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से पीएसी प्रमुख की शिकायत की। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने एक पत्र लिखा जिसमें इस बयान को एकतरफा बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। दुबे ने स्पीकर को लिखी चिट‌्ठी में इसे गलत और संसदीय प्रक्रिया के विपरीत बताया है। दुबे ने कहा कि पीएसी चेयरमैन ने बिना मशविरा किए यह बयान दिया है।

दुबे ने लोकसभा स्पीकर को लिखे पत्र में कहा, “मैं आपको पीएसी चेयरमैन केवी थॉमस की एक तरफा घोषणा की के बारे में बताना चाहता हूं जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेश होने का समन भेजने की बात कही। इस तरह के बयान गलत व एकतरफा हैं और संसदीय प्रक्रिया व आपके निर्देशों के खिलाफ है, जिसमें रिपोर्ट पूरी होने से पहले समन जारी करने का अधिकार नहीं है। हम यह नहीं समझ पाए कि पीएसी चेयरमैन ने बिना सदस्यों की सलाह के इस तरह की घोषणा कैसे कर दी।”

सोमवार को केरल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान थॉमस ने कहा था, “हमारे पास किसी को भी तलब करने की पावर है, यहां तक की प्रधानमंत्री और मंत्रियों को भी।” बता दें कि नोटबंदी को लेकर पिछले हफ्ते पीएसी ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और उच्च वित्त सचिवों को तलब किया और कई सवाल किए हैं। समिति ने आरबीआई गवर्नर और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को इन सवालों का जवाब देने के लिए 20 जनवरी तक का समय दिया है। केवी थॉमस ने कहा कि यदि सभी सवालों के जवाब नहीं मिले तो समिति अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए समिति प्रधानमंत्री को तलब कर सकती है।

अपने पत्र में दुबे ने संसदीय समिति के दो प्रावधानों का जिक्र किया है। रूल 55 (I) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि समीति की कार्यवाही को गोपनीय रखा जाता है और किसी भी सदस्य या कार्यवाही तक पहुंच रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कार्यवाही की कोई भी जानकारी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मीडिया को देने की अनुमति नहीं होती। इसके अलावा उन्होंने रूल 55 (2) का जिक्र करते हुए कहा, “जब भी कोई ‘गुप्त’ या ‘गोपनीय’ दस्तावेज समिति के सदस्यों को दिया जाता है तो इस दस्तावेज की विषय-वस्तु का खुलासा नहीं होना चाहिए।”