बीजेपी सांसद और एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला को बुधवार को सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने प्रस्ताव किया और कई अन्य नेताओं ने इनका अनुमोदन किया। बाद में पूरे सदन ने ध्वनिमत से अपना समर्थन दिया और फिर कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने बिरला को स्पीकर घोषित किया। गौरतलब है कि ओम बिरला राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले, बिरला को एनडीए की ओर से मंगलवार को उम्मीदवार घोषित किया गया। देर शाम कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों के गठबंधन यूपीए ने भी बिरला को समर्थन देने की घोषणा कर दी। इसके साथ की बिरला का सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय हो गया था।
बिरला दो बार सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। 57 साल के बिरला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं। इससे पहले, वह दो बार विधायक भी रह चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि बिरला को असेंबली चुनाव के लिए टिकट पाने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। उस वक्त ललित किशोर चतुर्वेदी और रघुवीर सिंह कौशल जैसे वरिष्ठ नेताओं की तूती बोलती थी। बिरला को पहला मौका 2003 में मिला, जब इन दिग्गज नेताओं की पार्टी पर पकड़ कमजोर हुई और उस वक्त की सीएम कैंडिडेट वसुंधरा राजे ऐसे नेताओं की तलाश थी, जो स्थापित नेताओं के प्रभाव में न रहे हों। संयोग से, वरिष्ठों को किनारे कर बीजेपी का पूरा नियंत्रण राजे को मिला, लेकिन बिरला का उस वक्त कुछ खास भला नहीं हुआ। राजस्थान में बड़ा मौका न मिलता देख बिरला ने इंतजार किया और उन्होंने बीजेपी की यूथ विंग पर ही फोकस रखा।
बिरला ने पहला चुनाव 17 साल की उम्र में जीता था। वह उस वक्त कोटा के गुमानपुरा स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट चुने गए। बाद में वह बीजेपी के यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने। वह इस पद पर 4 साल तक रहे। इसके अलावा, 1991-97 के बीच वह इस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। बाद में बीजेवाईएम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर भी 6 साल तक सेवाएं दी। राष्ट्रीय राजनीति में बिताए वक्त की वजह से वह बड़े नेताओं के संपर्क में आए। इसलिए जब राजे 2013 में सत्ता में लौटीं तो बिरला ने राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी एंट्री मारी अैर 2014 आम चुनाव में मैदान में उतरे।