1931 Martyrs Controversy J&K: जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में बुधवार को जबरदस्त हंगामा हुआ। विधानसभा में बहस के दौरान नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कई निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी के विधायक सुनील शर्मा की एक टिप्पणी का जोरदार विरोध किया। बात इस कदर बिगड़ गई कि बीजेपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

क्यों हुआ विधानसभा में हंगामा?

विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुनील शर्मा के द्वारा 13 जुलाई, 1931 को मारे गए लोगों (शहीदों) को लेकर की गई एक टिप्पणी के चलते हंगामा हुआ। स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने जब सुनील शर्मा के द्वारा इस दिन मारे गए लोगों को लेकर की गई इस टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाने की घोषणा की तो बीजेपी के विधायकों ने इसका जबरदस्त विरोध किया और सभी 28 विधायक सदन से बाहर चले गए।

हुआ क्या था?

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीडीपी के विधायक वहीद-उर-रहमान पारा ने कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की सेना के द्वारा मारे गए लोगों की याद में 13 जुलाई को और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर 5 दिसंबर को सार्वजनिक छुट्टी को बहाल करने की मांग की।

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पीडीपी विधायक की इस मांग के जवाब में बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने 13 जुलाई, 1931 को मारे गए लोगों को लेकर एक टिप्पणी की और इसके बाद सदन का माहौल बेहद गर्म हो गया।

दोनों छुट्टियों को कर दिया गया था रद्द

बताना जरूरी होगा कि अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इन दोनों छुट्टियों को रद्द कर दिया था। प्रशासन ने इनकी जगह 23 सितंबर (महाराजा हरि सिंह की जयंती) और 26 अक्टूबर (महाराजा ने 1947 में भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे) के दिन छुट्टी घोषित की थी।

पारा और शर्मा के बीच हुई जोरदार बहस

वहीद-उर-रहमान पारा ने कहा कि 13 जुलाई, 1931 को किया गया विरोध ‘सांप्रदायिक’ नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक इतिहास का ‘अहम क्षण’ था। उन्होंने कहा कि यह राजशाही के खिलाफ विरोध का दिन था और लोगों ने लोकतंत्र के लिए अपने जान की कुर्बानी दी थी।

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वहीद-उर-रहमान पारा ने कहा कि जब तक 13 जुलाई को जान गंवाने वालों को मान्यता नहीं दी जाएगी और छुट्टी को बहाल नहीं किया जाएगा, तब तक बीजेपी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ इंसाफ नहीं कर पाएगी। इसके जवाब में बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने महाराजा हरि सिंह के योगदान पर बात की और कहा कि महाराजा के खिलाफ किसी भी तरह की बात को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शर्मा ने पारा पर तंज कसते हुए कहा कि आप महाराजा के बनाए राज्य में रहकर आनंद ले रहे हैं।

शर्मा के बयान का नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कई निर्दलीय विधायकों ने विरोध किया और शर्मा से बयान वापस लेने की मांग की। इसके बाद बढ़ते हंगामे के बीच विधानसभा स्पीकर राथर ने सुनील शर्मा की टिप्पणियों को कार्यवाही से हटा दिया।

इससे बीजेपी के विधायक भड़क गए और उन्होंने विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद गनी लोन ने मांग की कि 13 जुलाई (शहीद दिवस) और 5 दिसंबर (शेख अब्दुल्ला जयंती) पर छुट्टी बहाल की जाए।

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शर्मा ने प्रदर्शनकारियों को बताया ‘देशद्रोही’

सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में शर्मा ने कहा कि 13 जुलाई, 1931 का विरोध प्रदर्शन महाराजा हरि सिंह द्वारा शासित तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के खिलाफ एक ‘विद्रोह’ था। शर्मा ने उन प्रदर्शनकारियों को ‘देशद्रोही’ बताया। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह न्याय को पसंद करने वाले राजा थे और जिसने भी उनका विद्रोह किया वह देशद्रोही है। उन्होंने पूछा कि वे लोग अपने शासन में 2010 और 2016 में मारे गए लोगों के लिए आंसू क्यों नहीं बहा रहे हैं।

दूसरी ओर, वहीद-उर-रहमान पारा ने भी अपनी बात को दोहराया और कहा कि 13 जुलाई का दिन जम्मू या किसी के खिलाफ नहीं है। यह लोकतंत्र और जम्मू-कश्मीर की जनता की लोकतांत्रिक जागृति का जश्न मनाने का दिन है।

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