हरियाणा में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। लेकिन पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पिछले दो माह से पार्टी के वरिष्ठ विधायक और राज्य के गृह मंत्री अपना पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने राज्य के खुफिया विभाग (राज्य सीआईडी) की खिंचाई की है क्योंकि उनके द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दी गई। इसके साथ ही 9 आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर के निर्णय में खुद को शामिल नहीं किए जाने पर उन्होंने चिट्ठी लिख सीएम को असहमति जताई। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ट्रांसफर के मामले में विज के असंतोष भरे सवाल का जवाब देना बाकी है, लेकिन सीआईडी के अधिकारियों ने भी तय समय सीमा के भीतर में विज के सवालों का जवाब नहीं दिया है।

कथित चूक पर नाराजगी जताते हुए विज ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सीएमओ ने उन्हें मानक प्रक्रिया के बीच में नहीं रखते हुए नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा, “अगर यही काम करना है तो राज्य का मंत्री का पद क्यों दिया गया। यदि ये पद वे खुद रखना चाहते हैं तो रख लें।”

अंबाला कैंट से छह बार विधायक बने विज ने कहा, “हालांकि सीएम के पास मेरे विरुद्ध काम करने की शक्ति है लेकिन मुझे कम से कम इस प्रक्रिया में रखा जाना चाहिए। निर्णय ले लिए जाते हैं और मुझे सिर्फ एक कॉपी दे दी जाती है। जब मैंने आईपीएस अधिकारियों के हालिया तबादलों का विरोध किया और यहां तक कि फाइल पर अपनी असहमति भी बताई, तो मामला खत्म करने से पहले मेरे साथ कम से कम चर्चा होनी चाहिए थी।”

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हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने विज को “कम्युनिकेशन गैप” बताया और कहा कि “इस स्तर पर किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं थी”। उन्होंने कहा, “आमतौर पर गृह विभाग हमेशा मुख्यमंत्री के पास होता था। हालांकि, इस बार किसी अन्य मंत्री को स्वतंत्र प्रभार के रूप में पोर्टफोलियो दिया गया है। इस वजह से कुछ कम्युनिकेशन-गैप है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों इसे आपसी चर्चा से दूर करेंगे। एक पार्टी अध्यक्ष के रूप में मुझे नहीं लगता कि इस स्तर पर मेरी ओर से किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।”