बीजेपी समर्थकों द्वारा त्रिपुरा में कम्युनिस्टों के आदर्श ब्लादिमीर लेनिन की मूर्ति ढहाए जाने का राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने समर्थन किया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता स्वामी ने बीजेपी समर्थकों का पक्ष लेते हुए लेनिन को विदेशी और आतंकवादी कहा है। उन्होंने कहा, ‘लेनिन तो विदेशी है, एक प्रकार से आतंकवादी है। ऐसे व्यक्ति की हमारे देश में मूर्ति लगेगी? वो मूर्ति कम्यूनिस्ट लोग अपनी पार्टी के मुख्यालय में रख सकते हैं और उसकी पूजा कर सकते हैं।’ दरअसल, त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान के 48 घंटों के अंदर ही लेनिन की मूर्ति को जेसीबी मशीन की मदद से ढहा दिया गया। यह मूर्ति बेलोनिया टाउन में पिछले पांच सालों से खड़ी हुई थी, लेकिन बीजेपी की जीत के बाद सोमवार को दोपहर 2.30 बजे इसे गिरा दिया गया। मूर्ति को गिराते वक्त ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए गए। इस घटना को पिछले पांच सालों तक त्रिपुरा में शासन करने वाली सीपीआई(एम) ने कम्यूनिज्म फोबिया नाम दिया है।
वहीं बीजेपी का कहना है कि मूर्ति को वामपंथियों के द्वारा दबाए गए लोगों ने ढहाया है। सीपीआई(एम) नेता तपस दत्ता ने कहा, ‘इस घटना को देखने वाले लोगों ने बताया कि मूर्ति जैसे ही जमीन पर गिरी, लेनिन का सिर शरीर से अलग हो गया।’ यह मूर्ति सीपीएम शासन के 21 साल पूरे होने पर 2013 में त्रिपुरा के बेलोनिया में लगाई गई थी।
In South Tripura’s Belonia, a statue of Lenin razed amid chants of ‘Bharat Mata Ki Jai’. This, less than 48 hours after the BJP stormed to power ending a 25-year-long Left rule.
More here: https://t.co/Q7a4EsiuSh pic.twitter.com/335YDvXTb7
— The Indian Express (@IndianExpress) March 5, 2018
सीपीआई(एम) ने बीजेपी दक्षिण जिला सचिव राजू नाथ पर लेनिन की मूर्ति गिराने की योजना बनाने का आरोप लगाया है। इन आरोपों पर नाथ का कहना है कि गुस्सा ज्यादा बढ़ जाने के कारण लोगों ने मूर्ति ढहाई। उन्होंने कहा, ‘कई सालों से लोगों के मन में लेनिन की मूर्ति के प्रति गुस्सा था। यह म्यूनिसिपॉलिटी द्वारा बनाई गई थी और इसमें लोगों के टैक्स का पैसा लगा था। लोगों के पैसे मूर्ति बनाने में क्यों लगाए गए? अगर यह मूर्ति हमारे पूर्व सीपीआई(एम) मुख्यमंत्री नृपेन चक्रवर्ती की होती तो कोई इसे हाथ भी नहीं लगाता। वह हममें से एक थे और इस देश के नागरिक थे, लेकिन विदेशी लेनिन का हमारे देश की जनता से क्या लेना देना?’
