बंगाल में हुए उप चुनावों में मिले 0-3 के झटके के बाद ऐसा लगता है कि मानो अब बीजेपी के अंदर से ही आवाजें उठने लगी हैं। सीनियर पार्टी नेता और सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार चंद्रा बोस ने ‘पार्टी सिस्टम में साफ सफाई’ का सुझाव दे डाला है। बोस ने यह भी कहा कि प्रदेश के लिए खास रणनीति बनाए जाने की जरूरत है न कि राष्ट्रीय स्तर की रणनीतियां थोपने की।
हालांकि, पार्टी के ही कुछ अन्य नेता चंद्रा की बयानबाजी से सहमत नहीं हैं। राज्य बीजेपी के उपाध्यक्ष बोस ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई ट्वीट करके अपनी राय रखी। इन ट्वीट्स से उन्होंने इशारों में कहा कि एनआरसी जैसे ध्रुवीकरण वाले मुद्दे भले ही दूसरे राज्यों में प्रभावशाली चुनावी रणनीति साबित हों लेकिन बंगाल में काम नहीं करेंगे।
उन्होंने ट्वीट में लिखा कि पैन इंडिया स्ट्रैटिजी स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरती पर लागू नहीं होगी। बोस ने बीजेपी को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह तक दे डाली। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को बंगाल की जनता के लिए काम करना चाहिए और राजनीतिक जीत के लिए इसे एक वोट बैंक की तरह नहीं समझना चाहिए।
Its essential for @BJP4Bengal to cleanse the party system & devise a strategy specific to Bengal. Pan India strategy would not apply to the land of Swami Vivekananda & Netaji Subhas Chandra Bose. pic.twitter.com/AInm5E5jEy
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) November 28, 2019
उनके मुताबिक, दूसरी जगहों पर कामयाब रही रणनीतियां बंगाल के लोगों पर काम नहीं करेंगी क्योंकि वे राजनीतिक तौर पर बेहद सजग और चतुर हैं। उनकी इन टिप्पणियों को लोग एनआरसी से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, बोस ने इशारों में संकेत दिए कि बीजेपी को बंगाल में एनआरसी को मुख्य चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहिए था।
अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ ने बीजेपी अंदरखाने के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पार्टी के कई नेता बोस के बयान से सहमत हैं। उनका कहना है कि सीएम ममता बनर्जी और तृणमूल एनआरसी को लेकर वोटरों के बीच डर पैदा करने में कामयाब रही और बीजेपी नागरिकता संशोधन विधेयक के फायदे लोगों को समझाने में नाकाम रही।
Political parties must take interest in Bengal genuinely to work for its people & develop the basic infrastructure for upliftment & not just treat it as a vote bank for political victory.This would not work as the people of Bengal are politically sharp & astute.
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) November 29, 2019
वहीं, बोस के ट्वीट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा, ‘पार्टी सभी के सुझावों का स्वागत करती है लेकिन एक पार्टी पदाधिकारी के तौर पर उन्हें (बोस को) अपने सुझावों को ट्वीट करके लोगों का ध्यान खींचने के बजाए सही मंच पर रखना चाहिए था।’ वहीं, कुछ अन्य नेताओं ने कहा कि चुनाव के बाद इन बातों को कहने का क्या फायदा है? बीजेपी का प्रदेश आलाकमान शनिवार को एक बैठक करके नतीजों की समीक्षा करेगा।