बीजेपी मिशन 2024 में जुट गई है। इस बार पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए महाजनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत मोदी सरकार के 9 साल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा जा रहा है। बीजेपी ने इस अभियान को 30 जून तक खत्म करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि अभियान के दौरान कुछ नेताओं की लापरवाही सामने आई। अब बीजेपी ने इसकी सीमा 18 जुलाई तक बढ़ा दी है। सूत्रों का कहना है आलाकमान इस अभियान को गंभीरता से ना लेने वाले नेताओं से नाराज है। पार्टी के 25 से 30 फीसदी नेता ऐसे हैं जिन्हें पार्टी संगठन की ओर से इस बात को लेकर नाराजगी जताई गई है। इन नेताओं के टिकट पर भी संकट हो सकता है।
आलाकमान ने जताई नाराजगी
सूत्रों का कहना है महाजनसम्पर्क अभियान को देख रहे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल सांसदों की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। उनकी ओर से पार्टी की बैठक में कहा गया कुछ सांसदों की वजह से अभियान को आगे बढ़ाया गया है। अब ऐसे नेताओं की टिकट पर संकट आ सकता है। इनमें से कई नेता ऐसे हैं जो या तो 2019 में जीते थे या हारी हुई सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी थे।
बीजेपी सभी सीटों पर नेताओं का सर्वे भी करा रही है। बीजेपी के सर्वे में इन नेताओं को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से भी अच्छा फीडबैक नहीं मिला है। ऐसी सीटों पर बीजेपी इस पर नए चेहरों को मौका दे सकती है। इसके लिए हर सीट के मौजूदा सांसद के अलावा अन्य नेताओं की भी एक लिस्ट तैयार की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई मौजूदा सांसद ऐसे भी हैं जो 75 की उम्र पार कर चुके हैं। बीजेपी चुनाव के लिए पहले ही 75 की उम्र सीमा तय चुकी है। ऐसे में इस बार उन्हें टिकट मिलने पर संशय बना हुआ है। बीजेपी की नजर इस बार उन सीटों पर भी है जिन्हें वह 2014 और 2019 में नहीं जीत पाई थी। इन सीटों के लिए पार्टी ने अलग रणनीति तैयार की है। पार्टी की नजर इन सीटों की उन कमियों को लेकर है जिसके कारण वह पिछले दोनों चुनाव हार गई। यहां संगठन को और मजबूत किया जा रहा है। इसके अलावा जातिगत समीकरण को लेकर भी पार्टी की नजर है।