शिवसेना ने आज कहा कि धर्म वापसी में कुछ भी गलत नहीं है। इसने उन लोगों की निन्दा की ‘‘जो हिन्दुओं के इस्लाम धर्म में जाने पर खामोश रहे थे।’’
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा गया, ‘‘कल तक हिन्दूओं का मुस्लिम धर्म में धर्मांतरण हो रहा था। तब, किसी ने भी यह नहीं कहा कि यह जबरन या प्रलोभन देकर कराया गया। लेकिन अब जब गंगा ने उल्टा बहना शुरू कर दिया है तो क्षद्म धर्मरिपेक्ष कह रहे हैं कि धर्मांतरण सही नहीं है।’’

इसने कहा, ‘‘इन सभी ‘धर्मनिरपेक्ष’ लोगों का मुगल काल के दौरान हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाए जाने या ब्रिटिश और पुर्तगाली शासन के दौरान उन्हें ईसाई बनाए जाने के बारे में क्या कहना है।’’

संपादकीय में कहा गया, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा का एक बड़ा तबका धर्मांतरण का हिमायती है, लेकिन वे असमंजस में हैं क्योंकि उनकी पार्टी केंद्र में और महाराष्ट्र में सरकार में है।’’

शिवसेना ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की इस मांग का भी समर्थन किया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जल्द होना चाहिए। शिवसेना ने कहा, ‘‘दुनियाभर में तलवार (बल) या धन के जरिए धर्मांतरण होता है। हिन्दुओं के पास न तो तलवार है और न ही धन है। इसके बावजूद हिन्दू संगठन उन लोगों की धर्म वापसी का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं जो दूसरे धर्मों में जा चुके हैं।’’

इसने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत और विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया ने धर्म वापसी का स्वागत किया है।
शिवसेना ने कहा, ‘‘यदि हिन्दू संगठनों द्वारा खुद शुरू किए गए इस कार्यक्रम से मोदी सरकार समस्याओं का सामना करती है तो इस पर विचार किया जाना चाहिए।’’
इसने कहा, ‘‘हमने कहीं पढ़ा कि मोदी ने कुछ लोगों को संयम बरतने और सावधानी से बोलने की बात कहकर झाड़ लगाई है।’’

पार्टी ने कहा, ‘‘इसलिए, हर किसी के मन में इस बारे में संदेह है कि क्या हिन्दुत्व के नाम पर चल रहे धर्मांतरण के कदम को सरकार का समर्थन है।’’