गौरक्षकों द्वारा दलितों पर अत्याचार से चुनावी नफा-नुकसान साधने में बीजेपी जुट गई है। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा काउंटर रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति के 21 सांसदों में से हर एक को पांच-पांच विधानसभा क्षेत्रों में जाकर दलितों से बातचीत करनी होगी। इस कवायद का पहला चरण 1 सितंबर से शुरू होगा। दलितों पर पार्टी का फोकस मंगलवार रात गुजरात भवन में आरएसएस द्वारा बुलाई गई अनुसूचित जानियों के सांसदों की बैठक से भी जाहिर होता है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सांसदों ने उना मामले में दलित नेताओं को आगे किए जाने में पार्टी नेतृत्व की हिचक से नाराजगी जताई थी।
इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जनता से सीधे संवाद में कहा था कि गौरक्षा के नाम पर रंगदारी चल रही है। रात में अपराध करने वाले लोग दिन में गौरक्षक बन जाते हैं। उन पर लगाम लगाए जाने की जरूरत है। रविवार को एक कार्यक्रम में फिर उन्होंने ऐसे ही विचार दोहराए थे। उन्होंने तेलंगाना में कहा था कि मारना है तो मुझे मार लो, मेरे दलित भाइयों को मत मारो। बता दें कि कुछ दिन पहले गुजरात के उना में मरी हुई गाय का चमड़ा निकालने के नाम पर कुछ दलितों की जबरदस्त पिटाई की गई थी। इस घटना के बाद से गौरक्षा और इसके नाम पर दलित व मुस्लिम उत्पीड़न का मुद्दा काफी चर्चा में आ गया है।
गौरक्षकों पर दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर दक्षिणपंथी संगठनों ने काफी नाराजगी जताई थी। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक नेता ने कहा था कि उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले यह मुसलमानों को खुश करने के लिए दिया गया बयान है।
