जिस किसान को बीजेपी ने कभी ‘समर्पित पार्टी कार्यकर्ता’ करार दिया था, उसकी विधवा ने गंभीर आरोप लगाया है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, विधवा का कहना है पति की मौत के बाद बीजेपी ने उसे जो 5 लाख रुपये का चेक दिया था, उसे बैंक ने भुगतान न करके वापस कर दिया। बैंक ने इसकी वजह चेक को लेकर मिला ‘स्टॉप पेमेंट’ का आदेश बताया है।

द टेलिग्राफ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बीरभूम के नानूर स्थित रामकृष्णपुर गांव की निवासी चैना गराई ने कहा, ‘बैंक ने बीते हफ्ते चेक वापस भेज दिया। चेक के साथ आए दस्तावेज के मुताबिक, चेक देने वाले ने ‘स्टॉप पेमेंट’ का आदेश जारी किया था।’ चैना ने कहा, ‘बीजेपी नेताओं ने मेरे और तीन बच्चों का ख्याल रखने का वादा किया था। अगर उनको भुगतान रोकना था तो उन्हें मुझे चेक देने की जरूरत क्या थी?’

बता दें कि इस महिला के पति स्वरूप को 6 सितंबर की रात बीजेपी और तृणमूल के संघर्ष के दौरान गोली मार दी गई थी। कोलकाता के एक अस्पताल में 9 सितंबर को उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद, उनके शव को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। मृतक के रिश्तेदारों ने शव के साथ सेंट्रल कोलकाता स्थित बीजेपी दफ्तर तक जुलूस निकालने का प्लान बनाया था। परिजनों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने अस्पताल से शव उनके गांव पहुंचा दिया।

इसके बाद 15 सितंबर को मुकुल रॉय की अगुआई में बीजेपी की एक टीम गांव पहुंची और चैना को पंजाब नैशनल बैंक का एक चेक दिया। चैना ने द टेलिग्राफ को बताया, ‘मैंने इसे तुरंत कैश नहीं कराया क्योंकि मैं सदमे में थी। मैंने इसे पिछले महीने बैंक में जमा किया, लेकिन इसे वापस भेज दिया गया।’

उधर, जिले के बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी ने चैना को भुगतान न करने का फैसला किया है क्योंकि उसने पार्टी से ‘धोखा’ दिया है। बीजेपी जिलाध्यक्ष श्यामा प्रसाद मंडल ने कहा, ‘हां, हमने पेमेंट रोक दिया। तृणमूल ने उसे खरीद लिया और उसने सार्वजनिक तौर पर कहा कि उसका पति एक तृणमूल कार्यकर्ता था। उसने सभी को धोखा दिया, यहां तक कि अपने मृत पति को भी। अगर सच में वह एक तृणमूल कार्यकर्ता था तो हमें क्यों पैसे देने चाहिए?’

वहीं, रामकृष्णपुर गांव के निवासियों का कहना है कि स्वरूप बीजेपी कार्यकर्ता था। हालांकि, चैना ने किसी तरह का झूठ बोलने से इनकार किया। उसने आरोप लगाया कि बीजेपी ने उसके पति की मौत का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए स्वरूप को पार्टी कार्यकर्ता घोषित किया। चैना ने बताया, ‘उनकी मौत के तुरंत बाद, बीजेपी नेता हमारे घर आने लगे और यहां भगवा झंडे लगाने लगे। हम सदमे की हालत में थे लेकिन उन्हें कोई परवाह नहीं थी। मैं अभी भी यही कहना चाहती हूं कि मेरे पति राजनीति में नहीं थे लेकिन वह तृणमूल को वोट देते थे।’

चैना ने बताया, ‘मैं तृणमूल के जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल के दफ्तर 28 सितंबर को गई और उन्हें कहा कि मेरे पति तृणमूल को वोट देते थे। उन्होंने इसके लिए मुझे कोई पैसे देने की पेशकश नहीं की।’ उधर, चैना के आरोपों के बाद तृणमूल ने बीजेपी के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने एक गरीब शख्स की मौत का राजनीतिकरण किया।