भाजपा ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है और चाहती है कि धर्म परिवर्तन के विरुद्ध देश में कानून बने। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने यहां प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया से कहा कि जो दल धर्मांतरण कानून बनाने पर सहमत नहीं हंै, वह उन पर दबाव बनाए। शाह ने सवालों के जवाब में कहा, ‘भाजपा ने अपना रुख पहले ही स्पष्ट किया है। हम जबरन धर्मांतरण के पक्ष में न पहले कभी रहे और न आज हैं। संसदीय कार्य मंत्री (एम वेंकैया नायडू) ने संसद में सुझाव दिया है कि धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनना चाहिए। इस सुझाव पर आम राय बननी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘मीडिया को भी चाहिए कि जो दल इस सुझाव से सहमत नहीं हैं उन पर वह दबाव डाले। हम कानून बनाना चाहते हैं। समाज कानून से चलेगा। इससे अपने आप धर्मांतरण रुक जाएगा।’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या धर्मांतरण बंद होगा और आने वाले दिनों में आरएसएस ऐसा कराएगी?आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ पर प्रतिबंध लगाने की कुछ हिंदू संगठनों और संतों की मांग के बारे में शाह ने कहा, हमारे यहां विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। हर व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है। ‘लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।’

फर्जी मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की हत्या मामले से अदालत की ओर से भाजपा अध्यक्ष को दोषमुक्त किए जाने के बारे में कोई भी टिप्प्णी करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहेंगे और उनके वकील और पार्टी बात रखेंगी। सत्ता में आने के सात महीने हो जाने के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के चुनावी वादे को पूरा नहीं करने के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘हम (वाजपेयी सरकार) 2004 में 8.4 फीसद वृद्धि दर की अर्थव्यवस्था छोड़ कर गए थे। यूपीए सरकार अपने दस साल के शासन में उसे गिरा कर 4.6 फीसद पर ले आई। 8.4 से 4.6 तक घटाने में यूपीए को दस साल लगे, तो इसे फिर से पिछले स्तर तक बढ़ाने में ज्यादा समय लगेगा।’

नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यूपीए सरकार के चलते शासन के प्रति जनता का विश्वास पूरी तरह समाप्त हो गया था लेकिन नई सरकार ने उसे पुन: बहाल किया। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार में विश्वास बहाली का ही नतीजा है कि लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की।

उन्होंने कहा कि यूपीए के दस साल के शासन में सरकार के इकबाल जैसी कोई बात नहीं रह गई थी। उस काल में 150 से अधिक मंत्रियों के समूह गठित किए थे जो इस बात का द्योतक थे कि कोई मंत्रालय काम नहीं कर रहा था और हर मंत्री प्रधानमंत्री बना हुआ था।

शाह ने दावा किया कि मोदी सरकार में सभी मंत्रालय सरकार की नीतियों के अनुरूप स्वतंत्र रूप से कार्य करने को आजाद हैं। कालाधन वापस लाने के चुनावी वादे को पूरा करने के प्रश्नों के उत्तर में शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद संभालते ही अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इस बारे में एसआइटी गठित करने को मंजूरी दी। उन्होंने कहा, यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी को जिस भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मौका मिला कालेधन के मुद्दे को उठाया और इसे वापस लाने और इसके बारे में सूचनाएं पाने के बारे में दुनिया में एक राय बनाने की पहल की।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विश्व स्तर पर योग को मान्यता दिलाई और संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के उनके प्रस्ताव को विशाल बहुमत से स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि यह विश्व को ‘दवा मुक्त’ बनाने की ओर ले जाने का कदम है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2015 की शुरुआत में देश को ‘नीति आयोग’ के रूप में एक नई संस्था का तोहफा दिया है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग की जगह लेने वाली यह संस्था ‘सहकारी संघवाद’ की बुनियाद पर आधारित है। इसमें प्रधानमंत्री के साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे। ‘ये सब मिलकर ‘टीम इंडिया’ के रूप में काम करेंगे।’ प्रधानमंत्री जन-धन योजना को भी मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि मात्र सात महीने में साढ़े नौ करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों के बैंक खाते खुलावाए गए। इन खातों के साथ ही खाताधारकों का एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा भी कराया गया।