गुजरात दंगे के दौरान कई लोगों की जान गई थी, उनमें एक पीड़िता बिलकिस बानो भी थीं जिनके साथ 11 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था, उनके परिवार के सात जनों को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। उस मामले में सीबीआई ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन 2022 मे गुजरात सरकार ने उन दोषियों को 14 साल के अंदर ही रिहा कर दिया था। अब वो रिहाई सही थी या गलत, इस पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है।

असल में बिलकिस मामले में सबसे पहले हाई कोर्ट में एक दोषी द्वारा रिट पेटीशन दायर की गई थी। मांग की गई थी कि उन्हें रिहा कर दिया जाए, तब हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। उस फेसले को इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जहां पर सर्वोच्च अदालत ने फैसला राज्य सरकार यानी कि गुजरात सरकार पर छोड़ दिया।

उस समय सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद गुजरात सरकार ने एक कमेटी का गठन किया जिसने सभी 11 दोषियों को रिहा करने की बात कर दी। असल में रीमिशन पॉलिसी के तहत समय से पहले ही दोषियों को रिहा कर दिया गया था। उस एक फैसले को लेकर काफी विवाद हुआ, बिलकिस बानो और उनकी वकील ने भी आपत्ति जाहिर की। अब उसी आपत्ति की वजह से ये मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया जहां पर एक लंबी सुनवाई हो चुकी है।

एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर किस आधार पर उम्रकैद की सजा को रिहाई में बदल दिया गया। सवाल ये भी रहा कि सिर्फ इन दोषियों पर ऐसी मेहरबानी कैसे रही, जबकि जेल में कई और ऐसे कैदी बैठे हैं जो रिहाई का हक रखते हैं। अब उन तमाम सवालों को उठाने के बाद आज यानी कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है। ये फैसला कई आने वाले दूसरे केसों में एक बड़ी नजीर भी पेश कर सकता है।