बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को माफी देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। गुजरात के गोधरा में उम्र कैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को अगस्त 2022 में रिहा कर दिया गया था। दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस बानो और उनके परिवार ने इस फैसले पर निराशा जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इस केस में अब आठ जनवरी को फैसला आया है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए सभी दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया। आइये जानते हैं इस मामले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के बारे में।
3 मार्च, 2002- अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में 21 वर्षीय बिलकिस बानो के परिवार पर हिंसक भीड़ ने हमला किया। बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया जबकि उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई। बिलकिस की 3 साल की बेटी को भी दंगाइयों ने मार दिया था और उनकी मां के साथ भी बलात्कार किया गया।
दिसंबर 2003- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के मामले में सीबीआई जांच का निर्देश दिया।
21 जनवरी, 2008– एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो से बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
दिसंबर 2016- बॉम्बे हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाए 11 कैदियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।
मई 2017- बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी।
23 अप्रैल, 2019- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा।
13 मई 2022- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह 9 जुलाई 1992 की अपनी नीति के अनुसार समय पूर्व रिहाई के लिए एक दोषी की याचिका पर विचार करे।
15 अगस्त, 2022- गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उप-कारागार से 11 दोषियों को रिहा किया गया।
25 अगस्त, 2022- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की समय पूर्व रिहाई के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दायर जनहित याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया।
30 नवंबर, 2022- बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और कहा कि उनकी समय पूर्व रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को हिला दिया है।
17 दिसंबर, 2022- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उससे 13 मई के अपने उस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था। जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि गुजरात सरकार सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के एक दोषी द्वारा दायर समय पूर्व रिहाई के आवेदन की जांच करने में सक्षम है।
27 मार्च, 2023- बिलकिस बानो की याचिका पर केंद्र, गुजरात सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया गया।
7 अगस्त, 2023- सुप्रीम कोर्ट ने सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की।
12 अक्टूबर, 2023- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर 11 दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
08 जनवरी, 2024- सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की सजा माफी रद्द करते हुए कहा कि आदेश घिसा-पिटा है और बिना सोचे-समझे पारित किया गया। उच्चतम न्यायालय ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने का निर्देश दिया।
(भाषा के इनपुट के साथ)