जनता दल यूनाइटेड ने आज भाजपा पर पार्टी में विभाजन की साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि वह संख्या बल का प्रदर्शन करने के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति के समक्ष 130 विधायकों की परेड कराने को इच्छुक है जो कि बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से कहीं ज्यादा है।
पार्टी प्रवक्ता के सी त्यागी का मानना था कि राज्य के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि जदयू विधायकों द्वारा कल पटना में नीतीश कुमार को अपना नया नेता चुन लिये जाने के बाद मांझी को ज्यादातर विधायकों का समर्थन नहीं रह गया है।
मांझी की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आज शाम यहां होने वाली बैठक के बारे में पूछे जाने पर त्यागी ने प्रेस ट्रस्ट से कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हमारी पार्टी में विभाजन की योजना बनाने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं जैसा कि वह टीएमसी के साथ कर रहे हैं। वह असफल हो गये हैं, अगर आवश्यकता पड़ी तो हम राज्यपाल या यहां तक कि राष्ट्रपति के समक्ष 130 विधायकों की परेड करेंगे।’’
बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच जीतन राम मांझी ने कल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था और जदयू विधायक दल की बैठक को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था। कहा जाता है कि वह पद पर बने रहने के लिए भाजपा का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
मांझी विधानसभा भंग कराने के भी पक्ष में हैं ताकि नया चुनाव हो सके। बिहार भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी भी इस तरह की मांग कर चुके हैं।
त्यागी ने कहा कि विधानसभा भंग करने का कोई भी प्रयास अवैध होगा क्योंकि बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा एक मात्र स्थान है। त्यागी ने कहा कि जदयू अध्यक्ष शरद यादव कल राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात करेंगे और उन्हें नीतीश कुमार को अपना नया नेता चुनने के पार्टी विधायकों के निर्णय की सूचना देंगे और साथ ही नयी सरकार बनाने का दावा भी पेश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राजद, कांग्रेस और वामदल भी नीतीश का समर्थन कर रहे हैं।
केशरीनाथ त्रिपाठी फिलहाल राज्य से बाहर हैं और उनके कल लौटने की उम्मीद है। बिहार में वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में जदयू के संकट से घिरने के परिदृश्य में भाजपा हालांकि मांझी को अपना समर्थन देने को लेकर दुविधा में है क्योंकि पार्टी मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की अतीत में कड़ी आलोचना कर चुकी है।
भाजपा के अंदर एक वर्ग का मानना है कि ताजा चुनाव कराने के लिए विधानसभा भंग करने के प्रयास के उलटे परिणाम हो सकते हैं। कैबिनेट के केवल सात सदस्यों ने कल की बैठक में इस प्रस्ताव का समर्थन किया था जबकि 21 सदस्यों ने इसका विरोध किया।
बाद में कल हुई विधायक दल की बैठक में मांझी के स्थान पर नीतीश कुमार को नया नेता चुन लिया गया और इस बैठक में 111 विधायकों में से 97 विधायकों ने हिस्सा लिया।