चाचा पशुपति कुमार पारस की बगावत पर चिराग पासवान ने कहा कि पासवान ने कहा कि खबरें आ रही हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है। लेकिन पार्टी संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष को उसी स्थिति में हटाया जा सकता है जब या तो उसकी मृत्यु हो जाए या वो इस्तीफा दे दे। उन्होंने चाचा को ललकारते हुए कहा- शेर का बेटा हूं, आखिरी तक लड़ूंगा।
लोजपा सांसद चिराग पासवान ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि मेरे पिता के अस्पताल में भर्ती होने पर कुछ लोग पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। मेरे पिता ने मेरे चाचा पशुपति कुमार पारस सहित पार्टी के नेताओं से इसके बारे में पूछा। कुछ लोग उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे, जिससे हमें गुजरना पड़ा। उन्होंने कहा कि ये तब हुआ जब वो ठीक नहीं थे। चाचा से बात करने की भी कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
उन्होंने कहा कि जब पिता और अन्य चाचा का निधन हुआ, तब वो अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से आस लगाए बैठे थे। उनका कहना था कि जब पिता रामविलास पासवान का निधन हो गया तो वो अनाथ नहीं हुए, लेकिन चाचा ने जब ऐसा किया तो अनाथ हो गए। लोजपा संसदीय दल के नेता के विवाद पर बोले कि नेता की नियुक्ति संसदीय समिति का फैसला है, न कि मौजूदा सांसदों का।
दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया। मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया: चिराग पासवान https://t.co/ttjqoDmvon
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 16, 2021
बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था: चिराग पासवान pic.twitter.com/Flg7GayNnc
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मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा। कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे। मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे: चिराग पासवान pic.twitter.com/8R109ZuKcQ
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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी की टूट आंतरिक मामला है। इसके लिए वो दूसरों को दोषी नहीं ठहराएंगे। दरअसल उनसे पूछा गया था कि क्या ये सब बीजेपी के इशारे पर हुआ। चिराग के रुख से साफ था कि वो बीजेपी की नाराजगी नहीं लेना चाहते। जेडीयू के सवाल पर उनका कहना था कि चुनाव में नीतीश के विरोध को वो अपनी जीत मानते हैं। उन्हें 6 फीसदी वोट मिले। लोगों ने उनकी पार्टी को भरपूर प्यार और समर्थन दिया।
उनका कहना था कि जेडीयू उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही थी। कई रिपोर्ट इससे जुड़ी सामने आई। तब जाकर फैसला किया कि अब नीतीश के साथ काम करना संभव नहीं होगा। उनका कहना था कि एलजेपी ने अगर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के साथ मिलकर असेंबली चुनाव लड़ा होता तो भारी बहुमत से जीत मिलती।
चिराग की स्पीकर को चिट्ठी, कहा- उन्हें माना जाए नेता
मंगलवार को लोजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति की एक आपातकालीन बैठक में चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने का फैसला किया गया था। वहीं, उन्हें पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से भी हटा दिया है और लोकसभा में पार्टी की कमान बागी चाचा पशुपति को सौंपी गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पारस के पक्ष में अधिसूचना भी जारी कर दी है।
चिराग ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है। चिराग ने बिरला को यह भी सूचित किया कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।