Nitish Kumar Son Nishant Kumar Politics: बिहार की राजनीति में इन दिनों फिर से एक पुरानी चर्चा जिंदा हो गई है। चर्चा इस बात की है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे राजनीति में आने जा रहे हैं। बिहार से आ रही खबरों के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी का स्वागत करने के लिए तैयार है।

जेडीयू के सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार होली के बाद सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं।

बताना होगा कि बिहार की राजनीति में इस तरह की चर्चा उठती रही है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार देर-सबेर राजनीति में जरूर आएंगे लेकिन नीतीश कुमार वंशवादी राजनीति की आलोचना करते रहे हैं और इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी के खिलाफ भी काफी मुखर रहे हैं। इसलिए निशांत कुमार के राजनीति में आने की संभावनाओं पर विराम लग गया था। लेकिन इस बार निशांत के राजनीति में आने की चर्चाओं में काफी दम दिखाई दे रहा है।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक करीबी नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि निशांत कुमार राजनीति में आने के लिए तैयार हैं और इस मामले में मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार किया जा रहा है। नीतीश कुमार को बताया गया है कि पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि निशांत को राजनीति में आने की इजाजत दी जाए।

इकलौती संतान हैं निशांत कुमार

निशांत कुमार की उम्र 38 साल है और वह टीवी, सोशल मीडिया और राजनीति की चकाचौंध से काफी दूर हैं। निशांत कुमार नीतीश और उनकी दिवंगत पत्नी मंजू सिंह की इकलौती संतान हैं। उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है।

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निशांत ने की थी जेडीयू को वोट देने की अपील

इस महीने की शुरुआत में 8 जनवरी को निशांत पिता के साथ एक कार्यक्रम में अपने गृह नगर बख्तियारपुर गए थे। वहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने अपील की थी कि इस साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अगर संभव हो तो जेडीयू और उनके पिता को वोट दें जिससे वह फिर से राज्य में सरकार बना सकें।

इससे पहले निशांत को 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में आखिरी बार किसी राजनीतिक समारोह में देखा गया था।

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बख्तियारपुर में हुए इस कार्यक्रम के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने ऐसे संकेत दिए थे कि निशांत राजनीति में शामिल हो सकते हैं। श्रवण कुमार ने कहा था कि निशांत को मौजूदा सरकार के बारे में अच्छी समझ है और ऐसे प्रगतिशील विचारों वाले युवाओं का राजनीति में स्वागत है। उन्होंने कहा था कि इस संबंध में सही समय पर फैसला लिया जाएगा।

जेडीयू के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 2013 में अपने बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को पार्टी के नए नेता के रूप में आगे किया था। रामविलास पासवान ने भी लगभग उसी दौरान चिराग पासवान का नाम आगे बढ़ाया था। चिराग पासवान ने ही 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एलजेपी को एनडीए के साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी और इस फैसले से एलजेपी को फायदा हुआ था। इसी तरह तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी का नेतृत्व किया और महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली।”

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निशांत को पार्टी में लाने की मांग

जेडीयू के एक नेता ने कहा कि अगर निशांत एक दशक पहले राजनीति में शामिल हो गए होते तो वह नीतीश कुमार के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हो सकते थे। एक अन्य नेता ने कहा कि अभी भी बहुत ज्यादा देर नहीं हुई है, हमें जेडीयू के राजनीतिक भविष्य की खातिर निशांत कुमार को पार्टी में लाना चाहिए।

बताना होगा कि बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसके लिए एनडीए और महागठबंधन की ओर से जोरदार तैयारी चल रही है। पिछले दिनों बिहार की राजनीति में इस बात की चर्चा जोर-शोर से उठी थी कि नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल सकते हैं लेकिन नीतीश ने इस तरह की सभी चर्चाओं को खारिज कर दिया था। नीतीश ने कहा था कि वह अब एनडीए के साथ ही रहेंगे और पाला नहीं बदलेंगे।

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