कानपुर के बेहमई में 1981 में बैंडिट क्‍वीन फूलन देवी और उसकी गैंग द्वारा 21 लोगों की हत्‍या के मामले में एक आरोपी को नाबालिग घोषित किया गया है। बेहमई कांड को 34 साल हो चुके हैं और आरोपी की उम्र 50 साल हो चुकी है। 2008 में आरोपी ने कोर्ट में कहा था कि घटना के समय वह नाबालिग था। कानपुर देहात सेशन कोर्ट ने उसकी आठवीं और 10वीं के दस्‍तावेजों के आधार पर दो महीने पहले उसे नाबा‍लिग घोषित कर दिया। इस मामले में अभी पांच लोगों पर ट्रायल चल रहा है और 25 जनवरी को अगली सुनवाई होनी है।

गौरतलब है कि बेहमई गांव में फूलन देवी और उसकी गैंग ने बदले की कार्रवाई करते हुए 21 राजपूतों की हत्‍या कर दी थी। अपने साथ हुए रेप का बदला लेने के लिए उसने इस घटना को अंजाम दिया था। फूलन देवी ने 1983 में सरेंडर कर दिया था। बाद में वह मिर्जापुर से सांसद चुनी गई और 25 जुलाई 2001 को उसकी गोली मारकर हत्‍या कर दी गर्इ। राजा राम सिंह ने बेहमई हत्‍याकांड में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच के दौरान अन्‍य आरोपियों के नाम सामने आए थे। इनमें से कुछ पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए तो कुछ की प्राकृतिक मौत हो गई। वहीं मान सिंह, विश्‍वनाथ और राम रतन को भगौड़ा घोषित कर दिया गया। कोसा, भीका, राम सिंह, श्‍याम बाबू और किशोर घोषित हुए आरोपी के खिलाफ ट्रायल चल रहा था। राम सिंह जेल में है जबकि बाकी आरोपी जमानत पर हैं।

सरकारी वकील राजू पोरवाल ने बताया कि, 2008 में आरोपी ने खुद को नाबालिग बताते हुए शै‍क्षणिक दस्‍तावेजों के साथ अर्जी दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने ऑरिजिनल दस्‍तावेज देने का आदेश दिया था। 2015 में आरोपी ने 10वीं कक्षा का सर्टिफिकेट और अन्‍य शैक्षणिक दस्‍तावेज जमा कराए। जांच के बाद 23 नवंबर 2015 को आरोपी को नाबालिग घोषित कर दिया गया।’ नाबालिग घोषित हुए आरोपी के सात बच्‍चे हैं और सबसे बड़े बेटे की उम्र 24 साल है। वहीं बेहमई कांड में मारे गए तुलसीराम और छविनाथ के भतीजे उदयवीर सिंह ने कहा कि वह इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

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